.... नदी में स्नान करते हुए साधु ने पानी में बहते हुए ’बिच्छू’ को एक बार फिर उठा लिया
’बिच्छू’ नें फिर डंक मारा। साधु तड़प उठा। बिच्छू पानी में गिर गया
साधु ने पानी में बहते हुए ’बिच्छू’ को फिर उठाया ।
बिच्छू ने फिर डंक मारा । साधु तड़प उठा । बिच्छू पानी में गिर गया।
साधु ने फिर......।यह घटना पास ही स्नान कर रहे एक व्यक्ति बड़े मनोयोग से देख रहा था।
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........कुछ वर्षों पश्चात
वह ’व्यक्ति’ उसी नदी में स्नान कर रहा था कि पानी में बहता हुआ ’बिच्छू’ उधर से निकला।
उस व्यक्ति ने बहते हुए बिच्छू को उठा लिया। इस से पहले कि बिच्छू डंक मारता ,उस व्यक्ति ने पट से मार कर "डंक’ मरोड़ दिया और पानी में फ़ेंक दिया
इस बार ’बिच्छू’ तड़प उठा ....
बेचारे बिच्छू को मालूम नहीं था कि ’दिल्ली’ में सत्ता बदल गई है।
-आनन्द.पाठक
09413395592
सार्थक प्रस्तुति।
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आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल सोमवार (19-01-2015) को ""आसमान में यदि घर होता..." (चर्चा - 1863) पर भी होगी।
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सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
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हार्दिक शुभकामनाओं के साथ...
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'