मित्रों!

आप सबके लिए “आपका ब्लॉग” तैयार है। यहाँ आप अपनी किसी भी विधा की कृति (जैसे- अकविता, संस्मरण, मुक्तक, छन्दबद्धरचना, गीत, ग़ज़ल, शालीनचित्र, यात्रासंस्मरण आदि प्रकाशित कर सकते हैं।

बस आपको मुझे मेरे ई-मेल roopchandrashastri@gmail.com पर एक मेल करना होगा। मैं आपको “आपका ब्लॉग” पर लेखक के रूप में आमन्त्रित कर दूँगा। आप मेल स्वीकार कीजिए और अपनी अकविता, संस्मरण, मुक्तक, छन्दबद्धरचना, गीत, ग़ज़ल, शालीनचित्र, यात्रासंस्मरण आदि प्रकाशित कीजिए।


फ़ॉलोअर

मंगलवार, 6 जनवरी 2015

हम गरीब लोग हैं........


हम गरीब लोग हैं
हमारी तिजोरी में सिर्फ़
चार शब्दों का बस खजाना था
अनाड़ी थे इसलिये
कुछ पहली रचनाओं में ही
सब खर्च कर दिया
और कुछ उधार ले खा गए
अब हालत ये है कि
कंगाली के दिल हैं आ गए
और उधार मिलता नहीं
दिल में कुछ उबरता नहीं
चोरी की तो
पकड़े जाने का डर है सताता
जेल जाने को भी
अभी दिल में अरमान नहीं जागा
रिश्वत भी लें तो किससे मांगें
जानने वाले अब
पहचानने से भी इंकार करते हैं
फिर भी हम कविता से प्यार करते हैं
भूख तो भूख है
रोकने से रूकती नहीं
अपनी नहीं तो न सही
अब उनकी परोसी जो भी है
उसी से गुजर बसर करते हैं
                     ........इंतज़ार

2 टिप्‍पणियां:

  1. जानने वाले अब
    पहचानने से भी इंकार करते हैं
    फिर भी हम कविता से प्यार करते हैं
    bahut khoob......

    जवाब देंहटाएं