चन्द माहिया : क़िस्त 35
:1:
सजदे में पड़े हैं हम
लेकिन जाने क्यूँ
दिल है दरहम बरहम
;2;
जब से है तुम्हें देखा
दिल ने कब मानी
कोई लक्ष्मन रेखा
:3:
क्या बात हुई ऐसी
तेरे दिल में अब
चाहत न रही वैसी
:4:
समझो न कि पानी है
क़तरा आँसू का
ख़ुद एक कहानी है
:5:
वो शाम सुहानी है
जिसमें है शामिल
कुछ याद पुरानी है
शब्दार्थ दरहम बरहम = तितर बितर ,अस्त व्यस्त ,व्यथित
-आनन्द.पाठक-
08800927181
:1:
सजदे में पड़े हैं हम
लेकिन जाने क्यूँ
दिल है दरहम बरहम
;2;
जब से है तुम्हें देखा
दिल ने कब मानी
कोई लक्ष्मन रेखा
:3:
क्या बात हुई ऐसी
तेरे दिल में अब
चाहत न रही वैसी
:4:
समझो न कि पानी है
क़तरा आँसू का
ख़ुद एक कहानी है
:5:
वो शाम सुहानी है
जिसमें है शामिल
कुछ याद पुरानी है
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