एक ग़ज़ल : मिल जाओ अगर तुम---
मिल जाओ अगर तुम तो ,मिल जाये खुदाई है
क्यों तुम से करूँ परदा , जब दिल में सफ़ाई है
देखा तो नहीं अबतक . लेकिन हो ख़यालों में
सीरत की तेरी मैने , तस्वीर बनाई है
लोगों से सुना था कुछ , कुछ जिक्र किताबों में
कुछ रंग-ए-तसव्वुर से , रंगोली सजाई है
माना कि रहा हासिल ,कुछ दर्द ,या चश्म-ए-नम
पर रस्म थी उल्फ़त की, शिद्दत से निभाई है
ज़ाहिद ने बहुत रोका ,दिल है कि नहीं माना
बस इश्क़-ए-बुतां ख़ातिर ,इक उम्र गँवाई है
ये इश्क़-ए-हक़ीक़ी है ,या इश्क़-ए-मजाज़ी है
दोनो की इबादत में ,गरदन ही झुकाई है
’आनन’ जो कभी तूने ,दिल खोल दिया होता
ख़ुशबू तो तेरे दिल के ,अन्दर ही समाई है
-आनन्द.पाठक- मो0 088927181
शब्दार्थ:-
सीरत = चारित्रिक विशेषताएं
रंग-ए-तसव्वुर= कल्पनाओं के रंग से
चस्म-ए-नम = आँसू भरी आंख , दुखी
शिद्दत से = मनोयोग से
इश्क़-ए-हक़ीकी= आध्यात्मिक/अलौकिक प्रेम
इश्क़-ए-मजाज़ी = सांसारिक प्रेम
मिल जाओ अगर तुम तो ,मिल जाये खुदाई है
क्यों तुम से करूँ परदा , जब दिल में सफ़ाई है
देखा तो नहीं अबतक . लेकिन हो ख़यालों में
सीरत की तेरी मैने , तस्वीर बनाई है
लोगों से सुना था कुछ , कुछ जिक्र किताबों में
कुछ रंग-ए-तसव्वुर से , रंगोली सजाई है
माना कि रहा हासिल ,कुछ दर्द ,या चश्म-ए-नम
पर रस्म थी उल्फ़त की, शिद्दत से निभाई है
ज़ाहिद ने बहुत रोका ,दिल है कि नहीं माना
बस इश्क़-ए-बुतां ख़ातिर ,इक उम्र गँवाई है
ये इश्क़-ए-हक़ीक़ी है ,या इश्क़-ए-मजाज़ी है
दोनो की इबादत में ,गरदन ही झुकाई है
’आनन’ जो कभी तूने ,दिल खोल दिया होता
ख़ुशबू तो तेरे दिल के ,अन्दर ही समाई है
-आनन्द.पाठक- मो0 088927181
शब्दार्थ:-
सीरत = चारित्रिक विशेषताएं
रंग-ए-तसव्वुर= कल्पनाओं के रंग से
चस्म-ए-नम = आँसू भरी आंख , दुखी
शिद्दत से = मनोयोग से
इश्क़-ए-हक़ीकी= आध्यात्मिक/अलौकिक प्रेम
इश्क़-ए-मजाज़ी = सांसारिक प्रेम
अन्तर्राष्ट्रीय ब्लोगर्स डे की शुभकामनायें ..... हिन्दी ब्लॉग दिवस का हैशटैग है #हिन्दी_ब्लॉगिंग .... पोस्ट लिखें या टिपण्णी , टैग अवश्य करें ......
जवाब देंहटाएंआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल रविवार (02-07-2016) को "ब्लॉगिंग से नाता जोड़ो" (चर्चा अंक-2653) पर भी होगी।
जवाब देंहटाएं--
सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
--
चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट अक्सर नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
बहुत बढ़िया
जवाब देंहटाएंdhanyavaad saadar
हटाएंaasheervaad aap ka
हटाएंsaadar