आज गुरुग्राम से प्रकाशित समाचार पत्र "आज समाज" में एक लघु कहानी प्रकाशित हुई
7 मई 17
शीर्षक -: खबर अच्छी या बुरी ---"एक अन्ध्विस्वास"
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आज सुबह से ही मेरी बाईं आँख लगातार फडफडा रही थी,और मेरे मन में न जाने किसी अपसगुन होने की आशंका सताए जा रही थी ,मैं जल्दी जल्दी ब्रेक फ़ास्ट कर अपने ऑफिस के लिए निकल पड़ा और रास्ते भर भगवान् से यही प्रार्थना करता रहा की कोई बुरी खबर न मिले ,ऑफ़िस पहुच कर मैंने अपने कम्पूटर को ओन कर अपनी सीट पर बैठ गया ,वैसे तो काम बहुत था किन्तु बार बार मेरे मन मस्तिक पर वही अपसगुन वाली बात आ जा रही थी ,गुड मोर्निंग सर ...तभी पेंट्री बोये ने चाय टेवल पर रखते हुए कहा और अगले स्टाफ की और चल दिया , मैं भी जैसे -तैसे अपना मन मार कर अपने काम में व्यस्त होने ही वाला था की अचानक से मेरे फोन की घंटी बज उठी मैंने जैसे ही फोन उठाया टेवल पर रखी चाय न जाने कैसे पलट कर गिर गई .और उधर से संदीप ने भी एक दु:खद सूचना दी .की ससुर जी की अचानक से तबियत ख़राब हो गई है उहें वह हॉस्पिटल ले कर जा रहा है ...जिसका डर था वही हुआ उन्हें हार्ट की प्रोब्लम थी और डॉ ने तुरंत ओपरेशन (बाई पास सर्जरी ) के लिए कहा था ...किन्तु इस उम्र में उनका यह ओपरेशन करवाना हमें बहुत ही खतरनाक लगा था ,इस कारण हमने उन्हें केवल दवाई एवं परहेज करवाना ही उचित समझा और समय-समय पर डॉ की सलाह लेते रहे ,यह खबर सुनकर मेरे हाथ पैर कॉप गए और मुझे कुछ भी नहीं सूझ रहा था की क्या करूँ ?
मैं अभी कुछ सोच ही रहा था कि तभी पेंट्री बोये मेरे नजदीक आया और उसने मुझसे कहा आपको बोस बुला रहें हैं ..मैं अपने को संभालता हुआ बोस के केविन में गया तो देखा मेरे वहां मेरी कम्पनी ( g4s) के कुछ ख़ास ऑफिसर्स बैठे हुए थे !
जैसे ही बोस ने मुझे देखा वे तुरंत मेंरा स्वागत करने स्वयम मेरे नजदीक आ गए और उन्होंने मेरे कंधे पर सब्बासी देते हुए मेरी पीठ थपथपाई और मेरे अधिकारियों से मेरी तारीफ करते हुए उन्होंने कहा -यह बहुत अच्छा कार्य करता है इसका परमोशन होना चाहिए ,यह बात सुन मेरे G4S अधिकारियों ने भी खड़े होकर मेरी पीठ थपथपाई और मुझेबधाई देते हुए कहा संजय हमें तुम पर बहुत गर्व है अगले माह से तुम्हारी सेलरी अब बढ़ कर आएगी ! मैं उनका धन्यवाद कह कर अपने डेस्क पर आया और अपनी शीट पर बैठ कर सोचने लगा कि यह मेरा अन्ध्विस्वास है या मेरी मेहनत का फल !
संजय कुमार गिरि
7 मई 17
शीर्षक -: खबर अच्छी या बुरी ---"एक अन्ध्विस्वास"
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आज सुबह से ही मेरी बाईं आँख लगातार फडफडा रही थी,और मेरे मन में न जाने किसी अपसगुन होने की आशंका सताए जा रही थी ,मैं जल्दी जल्दी ब्रेक फ़ास्ट कर अपने ऑफिस के लिए निकल पड़ा और रास्ते भर भगवान् से यही प्रार्थना करता रहा की कोई बुरी खबर न मिले ,ऑफ़िस पहुच कर मैंने अपने कम्पूटर को ओन कर अपनी सीट पर बैठ गया ,वैसे तो काम बहुत था किन्तु बार बार मेरे मन मस्तिक पर वही अपसगुन वाली बात आ जा रही थी ,गुड मोर्निंग सर ...तभी पेंट्री बोये ने चाय टेवल पर रखते हुए कहा और अगले स्टाफ की और चल दिया , मैं भी जैसे -तैसे अपना मन मार कर अपने काम में व्यस्त होने ही वाला था की अचानक से मेरे फोन की घंटी बज उठी मैंने जैसे ही फोन उठाया टेवल पर रखी चाय न जाने कैसे पलट कर गिर गई .और उधर से संदीप ने भी एक दु:खद सूचना दी .की ससुर जी की अचानक से तबियत ख़राब हो गई है उहें वह हॉस्पिटल ले कर जा रहा है ...जिसका डर था वही हुआ उन्हें हार्ट की प्रोब्लम थी और डॉ ने तुरंत ओपरेशन (बाई पास सर्जरी ) के लिए कहा था ...किन्तु इस उम्र में उनका यह ओपरेशन करवाना हमें बहुत ही खतरनाक लगा था ,इस कारण हमने उन्हें केवल दवाई एवं परहेज करवाना ही उचित समझा और समय-समय पर डॉ की सलाह लेते रहे ,यह खबर सुनकर मेरे हाथ पैर कॉप गए और मुझे कुछ भी नहीं सूझ रहा था की क्या करूँ ?
मैं अभी कुछ सोच ही रहा था कि तभी पेंट्री बोये मेरे नजदीक आया और उसने मुझसे कहा आपको बोस बुला रहें हैं ..मैं अपने को संभालता हुआ बोस के केविन में गया तो देखा मेरे वहां मेरी कम्पनी ( g4s) के कुछ ख़ास ऑफिसर्स बैठे हुए थे !
जैसे ही बोस ने मुझे देखा वे तुरंत मेंरा स्वागत करने स्वयम मेरे नजदीक आ गए और उन्होंने मेरे कंधे पर सब्बासी देते हुए मेरी पीठ थपथपाई और मेरे अधिकारियों से मेरी तारीफ करते हुए उन्होंने कहा -यह बहुत अच्छा कार्य करता है इसका परमोशन होना चाहिए ,यह बात सुन मेरे G4S अधिकारियों ने भी खड़े होकर मेरी पीठ थपथपाई और मुझेबधाई देते हुए कहा संजय हमें तुम पर बहुत गर्व है अगले माह से तुम्हारी सेलरी अब बढ़ कर आएगी ! मैं उनका धन्यवाद कह कर अपने डेस्क पर आया और अपनी शीट पर बैठ कर सोचने लगा कि यह मेरा अन्ध्विस्वास है या मेरी मेहनत का फल !
संजय कुमार गिरि
आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल मंगलवार (08-05-2017) को "घर दिलों में बनाओ" " (चर्चा अंक-2964) पर भी होगी।
जवाब देंहटाएं--
चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
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हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
सुन्दर
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