मित्रों!

आप सबके लिए “आपका ब्लॉग” तैयार है। यहाँ आप अपनी किसी भी विधा की कृति (जैसे- अकविता, संस्मरण, मुक्तक, छन्दबद्धरचना, गीत, ग़ज़ल, शालीनचित्र, यात्रासंस्मरण आदि प्रकाशित कर सकते हैं।

बस आपको मुझे मेरे ई-मेल roopchandrashastri@gmail.com पर एक मेल करना होगा। मैं आपको “आपका ब्लॉग” पर लेखक के रूप में आमन्त्रित कर दूँगा। आप मेल स्वीकार कीजिए और अपनी अकविता, संस्मरण, मुक्तक, छन्दबद्धरचना, गीत, ग़ज़ल, शालीनचित्र, यात्रासंस्मरण आदि प्रकाशित कीजिए।


फ़ॉलोअर

मंगलवार, 22 मई 2018

देश हित के लिए खेलती बेटियाँ
हर कदम पर यहाँ जीतती बेटियाँ
देखिये देश में अब पदक ला रहीं
बढ़ धरा से गगन चूमती बेटियाँ
आन को मान को देश की शान को
हर मुसीबत से हैं जूझती बेटियाँ
बेटियों पर पिता को हुआ नाज़ अब
लग पिता के गले झूलती बेटियाँ
खूबसूरत सुमन सी लगे हैं सदा
बन के खुशबू यहाँ महकती बेटियाँ
घर चलो लौट कर तुम न देरी करो
राह में बस यही सोचती बेटियाँ
आप ‘संजय’ सदा नेह देना इन्हें
हाथ सर पर सदा माँगती बेटियाँ
संजय कुमार गिरि
करतार नगर दिल्ली -53
9871021856

1 टिप्पणी:

  1. आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल बुधवार (23-05-2018) को "वृद्ध पिता मजबूर" (चर्चा अंक-2979) पर भी होगी।
    --
    चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
    जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
    --
    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
    सादर...!
    राधा तिवारी

    जवाब देंहटाएं