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सोमवार, 29 जून 2020

कोरोना वारियर्स को समर्पित दोहे
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            सेवा-भावना
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कोरोना योद्धा सभी,भूल गए घर-द्वार।
ऐसे वीरों के लिए,शब्द कहूँ मैं चार।।

कोरोना के काल में,वीर बने चट्टान।
श्वेद-रक्त टीका लगा,रखें हथेली जान।।

लोगों से विनती करें,और दिखाते राह।
बिन कारण जो घूमते,होकर बेपरवाह।।

भूखे-प्यासों की करें,सेवा ये दिन रात
मानवता के धर्म की,यही अनोखी बात।।

कोई भोजन बाँटता ,कोई रखता ध्यान।
जाँच-पड़ताल में लगे,रखना इनका मान।।

अपनी सेहत भूलकर,सबका रखते ध्यान
देश प्रेम सबसे बड़ा,उसपर वारें जान।।

पुलिस चिकित्सक ये सभी,कोरोना के वीर।
संकट में खुद हैं पड़े,बाँटे सबकी पीर।।

जीवन रक्षक ये बने,इनका हो सम्मान।
चिकित्सक-सिपाही सदा,दाँव लगाते जान।।

कोरोना के बीच में,करते सभी प्रयोग
अपने हित को भूलकर,सेवा करते लोग।।

घर-घर कचरा संग्रहण,करते हैं ये वीर।
साफ-सफाई ये रखें,समझो इनकी पीर।।

सेवा करने उतर पड़े,दिल के सच्चे लोग।
भूखों को भोजन मिले,करते सभी प्रयोग।।


अभिलाषा चौहान'सुज्ञ'
स्वरचित मौलिक

      

7 टिप्‍पणियां:

  1. आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल बुधवार (01-07-2020) को  "चिट्टाकारी दिवस बनाम ब्लॉगिंग-डे"    (चर्चा अंक-3749)   पर भी होगी। 
    --
    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।  
    सादर...! 
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'  
    --

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  2. सभी दोहे बहुत बढ़िया हैं, अभिलाषा दी।

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