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शनिवार, 11 सितंबर 2021

अनुभूतियाँ : क़िस्त 11

 

कुछ अनुभूतियाँ : क़िस्त 11

 1

दो बरतन जब पास पास हों

लाजिम उनका टकराना है।

छोड़ो छॊटी-मोटी बातें -

बोलो वापस कब आना है ?

 

2

दशकों का था साथ पुराना,

चाँदी से तुम मोल लगाए ।

सत्य यही है अगर तुम्हारा

तो फिर कौन तुम्हें समझाए?

 

3

चाँद सितारों वाली बातें,

लिख्खी हुई किताबों में हैं।

चाँद तोड़ कर लाने वाली

बातें केवल बातॊं में हैं ।

 

4

एक नहीं मैं ही दुनिया में

जिसकी कोई व्यथा पुरानी ।

एक नहीं. दो नहीं, हज़ारों

मेरी जैसी  विरह कहानी ।

 

-आनन्द.पाठक-

 

1 टिप्पणी:

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