क़िस्त 12
1
साथ दिया है तूने इतना
मुझ पर रही इनायत तेरी
तुझे नया हमराह मिला है
फिर क्या रही ज़रूरत मेरी ।
2
रहने दे ’आनन’ तू अपना
प्यार मुहब्बत जुमलेबाजी
मेरे चाँदी के सिक्कों पर
कब भारी तेरी लफ़्फ़ाज़ी ?
3
दिल पर चोट लगी है ऐसे
ख़ामोशी से डर लगता है
सब तो अपने आस-पास हैं
लेकिन सूना घर लगता है ।
4
इक दिन तो यह होना ही था
कौन नई सी बात हुई है ,
जिसको ख़ुशी समझ बैठा था
वह ग़म की सौगात हुई है ।
-आनन्द.पाठक-
किस्तों के प्यार ले लम्बी आयु नहीं होती
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर