मित्रों!

आप सबके लिए “आपका ब्लॉग” तैयार है। यहाँ आप अपनी किसी भी विधा की कृति (जैसे- अकविता, संस्मरण, मुक्तक, छन्दबद्धरचना, गीत, ग़ज़ल, शालीनचित्र, यात्रासंस्मरण आदि प्रकाशित कर सकते हैं।

बस आपको मुझे मेरे ई-मेल roopchandrashastri@gmail.com पर एक मेल करना होगा। मैं आपको “आपका ब्लॉग” पर लेखक के रूप में आमन्त्रित कर दूँगा। आप मेल स्वीकार कीजिए और अपनी अकविता, संस्मरण, मुक्तक, छन्दबद्धरचना, गीत, ग़ज़ल, शालीनचित्र, यात्रासंस्मरण आदि प्रकाशित कीजिए।


फ़ॉलोअर

शुक्रवार, 26 नवंबर 2021

एक ग़ज़ल

 

 

एज ग़ज़ल

 

तेरे इश्क़ में इब्तिदा से हूँ राहिल ,

न तू बेख़बर है, न मैं हीं हूँ ग़ाफ़िल।      

 

ये उल्फ़त की राहें न होती हैं आसाँ,

अभी और आएँगे मुश्किल मराहिल ।

 

मुहब्ब्त के दर्या में कागज की कश्ती,

ये दर्या वो दर्या है जिसका न साहिल     

 

जो पूछा कि होतीं क्या उलफ़त की रस्में,

दिया रख गई वो हवा के मुक़ाबिल ।      

 

इबादत में मेरे कहीं कुछ कमी थी.

वगरना वो क्या थे कि होते न हासिल।    

 

अलग बात है वो न आए उतर कर,

दुआओं में मेरे रहे वो भी शामिल ।       

 

कभी दिल की बातें भी ’आनन’ सुना कर,

यही तेरा रहबर, यही तेरा आदिल ।       

 

-आनन्द. पाठक-

 

राहिल = यात्री

 

2 टिप्‍पणियां: