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शनिवार, 29 जनवरी 2022

 

वाजिद वाणी

वाजिद के विषय में कोई जानकारी उपलब्ध नहीं है. शायद वह राजपुताना के रहने वाले एक गरीब पठान थे. ऐसी मान्यता है कि वाजिद एक बार शिकार करने गये. एक हिरणी का पीछा कर रहे थे. हिरणी अचानक उछली. पल भर के लिए जब वह हवा में थी उसका सौन्दर्य देख कर वाजिद चकित हो गये. भीतर कुछ हुआ. फिर घर न लौट पाए. ईश्वर की खोज में घूमते रहे. संत दादू दयाल (१५४४-१६०३) के शिष्य भी बने.

वाजिद के वचन अनमोल है. वह किसी पढ़े-लिखे पंडित या ज्ञानी के शब्द नहीं हैं, पर हर शब्द एक बहुमूल्य मोती है. उनके कुछ वचन सांझा कर रहा हूँ.

अरध नाम पाषाण तिरे नर लोई रे,

तेरा नाम कह्यो कलि माहिं न बुड़े कोई रे.

कर्म सुक्रति इकवार विले हो जाहिंगे,

हरि हाँ वाजिद, हस्ती के असवार न कूकर खाहिंगे.

राम नाम की लूट फवी है जीव कूँ,

निसवासर वाजिद सुमरता पीव कूँ.

यही बात परसिध कहत सब गाँव रे,

हरि हाँ वाजिद, अधम अजामेल तिरयो नारायण नांव रे.

कहिये जाय सलाम हमारी राम कूँ,

नेण रहे झड़ लाये तुम्हारे नाम कूँ.

कमल गया कुमलाय कल्यां भी जायसी,

हरि हाँ वाजिद, इस बाड़ी में बहुरि भँवरा ना आयसी.

चटक चाँदनी रात बिछाया ढोलिया

भर भादव की रैण पपीहा बोलिया.

कोयल सबद सुनाय रामरस लेत है,

हरि हाँ वाजिद, दाज्यो ऊपर लूण पपीहा देत है.

रैण सवाई वार पपीहा रटत है,

ज्यूँ ज्यूँ सुणिऐ कान करेजा फटत है.

खान पान वाजिद सुहात न जीव रे,

हरि हाँ, फूल भये सम सूल बिनावा पीव रे.

पंछी एक संदेसा कहो उस पीव सूँ,

विरहनि है बेहाल जायगी जीव सूँ.

सींचनहार सुदूर सूक भई लाकरी,

हरि हाँ वाजिद, घर में ही बन कियो बियोगिन बापरी.

बालम बस्यो बिदेस भयावह भौन है, 

सौवे पाँव पसार जू ऐसी कौन है.

अति है कठिन यह रैण बीतती जीव कूँ,

हरि हाँ वाजिद, कोई चतुर सुजान कहै जाय पीव कूँ.

वाजिद के यह अमूल्य शब्द उस भक्त की पीड़ा को व्यक्त कर रहे हैं जो अपने प्रभु को पाने किये तड़प रहा है. पपीहे के बोल भी उसके मन में चुभते हैं. राम नाम की लूट मची है, पर वह अभी भी उनके दर्शन से वंचित है. अब किसी बात में उसका मन नहीं लगता. वह सूख कर लकड़ी हुआ जा रहा है. वन में रह रहे वियोगी समान वह घर में वियोगी की तरह जी रहा है. हर पल अपने प्रियतम को पुकार रहा. हरि दर्शन के बिना जीना कठिन होता जा रहा है. उसकी यही आस है कि कोई सुजान (अर्थात वह सद्गुरु जिसने हरि के दर्शन कर लिये हैं) उसकी पुकार को उसके प्रियतम तक पहुँचा दे.

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