ग़ज़ल
सुरूर
उनका जो मुझ पर चढ़ा नहीं होता ,
ख़ुदा
क़सम कि मैं खुद से जुदा नहीं होता । 1
हमारे
इश्क़ में शायद कमी रही होगी-
सितमशिआर
सनम क्यों खफा नहीं होता । 2
निगाह
आप की जाने किधर किधर रहती,
निगाह-ए-शौक़
से क्यों सामना नहीं होता । 3
निशान-ए-पा
जो किसी और के रहे होते,
यक़ीन
मानिए सर यह झुका नहीं होता । 4
ख़याल
आप का दिन रात साथ रहता है,
ख़याल-ओ-ख़्वाब
में खुद का पता नहीं होता । 5
नज़र
जो आप की मुझसे मिली नहीं होती,
क़रार
दिल का मेरा यूँ लुटा नहीं होता । 6
सफ़र
हयात का ’आनन’ भला कहाँ कटता,
सफर
में साथ जो उनका मिला
नहीं होता । 7
-आनन्द.पाठक-
सुंदर प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंआभार आप का🙏
हटाएंधन्यवाद 🙏
जवाब देंहटाएंजी शुक्रिया
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