: दीपावली पर :
:1:
पर्व दीपावली का मनाते चलें
प्यार सबके दिलों में जगाते चलें
ये अँधेरे हैं इतने घने भी नहीं
हौसलों से दि्ये हम जलाते चलें
:2:
आग नफ़रत की अपनी मिटा तो सही
तीरगी अपने दिल की हटा तो सही
इन चराग़ों की जलती हुई रोशनी
राह दुनिया को मिल कर दिखा तो सही
:3:
कर के कितने जतन प्रेम के रंग भर
अल्पनाएँ सजा कर खड़ी द्वार पर
एक सजनी जला कर दिया साध का
राह ’साजन’ की तकती रही रात भर
:4:
प्रीति से, स्नेह से प्राण-बाती जले
दो दिये जल रहे हैं गगन के तले
लिख रहें हैं इबारत नए दौर की
हाथ में हाथ डाले सफ़र पर चले
:5:
घर के आँगन में पहले जलाना दिये
फिर मुँडेरों पे उनको सजाना. प्रिये !
राह सबको दिखाते रहें दीप ये-
हर समय रोशनी का ख़जाना लिए ।
-आनन्द पाठक-
बहुत ही सुन्दर
जवाब देंहटाएं"रात्रिर्गमिष्यति भविष्यति सुप्रभातम"।
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