उम्र के इस पडाव पर पहुँच कर समझने के प्रयास में जाना
हमारा
जीवन एक अनजाने चौराहे पर आ पहुँचा हैं अब
अन्नतः अब
सही राह चुनने का वक्त आ गया सामने मेरे
एकराह समक्ष
परंपरावादी जो तर्कहीन गुलामों से भरी पडी हैं
दूजी राह
क्रान्तिवादी परिवर्तन करने के इच्छुक निश्चयियों की
तीजी राह
मतवालों की जो जीवन सदकर्मों में खोना चाहते हैं
चौथी मानने
वालों को परिवर्तन रूढियों कर्मफल का खौफ नही
मुझसे कोई
आकर पूछे तो मेरी एकमात्र पसंद कर्मप्रधान राह हैं
सृष्टि को स्वंय की पालक रचियता व प्रबंधक माना जाता
हैं
ऐसी स्थिति
में सर्वोच्च प्रबंधक ईश्वर अस्तित्वहीन हो गया हैं
विज्ञान
आध्यात्म सभी अनदेखी महाशक्ति का वजूद मानते हैं
अब कृपाऔ का
धन्यवाद किसको किया जावे जिसे प्रणाम करूं
मेरा प्रणाम
सदा हरि को रहा जिसने कर्म का अर्थ आ समझाया
पथिक अनजाना
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