एक जीव ऐसा
निकला जिसने नाम खुदा का रोशन किया
वह इंसान हैं
भले ही जमात इसमें जयचन्दों की शामिल हैं
इन्होंने खौफ
खुदा का चर्चित कर खुदा का डंका बजाया हैं
गर यह जयचन्द
न होते तो खुदा नाम तेरा कौन लेता
माना तेरे
नाम की आड में फले फूले बहार व व्यापार हैं
शुक्र मनाता
खुदा तभी जयचन्दों का शायद रखता ध्यान
वर्ना वन में
जो फूले खुश्बूदार फूल की महक कौन जानता
वैज्ञानिक
कहते प्राकृतिक प्रर्किया ब्रम्हाण्ड संचालित करती
जयचन्द कहते सब होता घटित ब्रम्हाण्ड में तेरी माया हैं
विचारक कहते
कर्मों से बनी हर इंसानी जीवन कहानी हैं
दुकाने,पोथियाँ
सब सजाये पथिक की सोच अनजानी हैं
पथिक अनजाना
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