विपक्ष की बालाकोट सर्जिकल स्ट्राइक
आजकल विपक्ष का हर नेता और कई मीडिया वाले बालाकोट पर हुए सर्जिकल स्ट्राइक का प्रमाण मांग
रहा है, मोदी जी से चीख-चीख कर पूछ रहा है कि बताओ ‘कितने आदमी थे’, कितने आदमी
मारे गये हवाई सर्जिकल स्ट्राइक में.
ध्यान देने योग्य है कि कोई यह नहीं पूछ रहा कि कितने
‘आतंकवादी’ थे बालाकोट में. अर्थात इन लोगों की समझ में यह लोग आतंकवादी नहीं थे.
अब मान लीजिये मोदी जी कुछ भी संख्या बताते हैं तो क्या
विपक्ष इससे संतुष्ट हो जायेगा या फिर उस संख्या को पुष्टि करने के लिये मोदी जी
से उन लोगों के (जो बालाकोट में मारे गये) ‘डेथ सर्टिफिकेट’ और ‘पोस्ट-मार्टम
रिपोर्ट’ मांगेगा, अन्यथा या कैसे साबित होगा की वह लोग हवाई हमले में ही मरे थे,
केंसर या दिल के दौरे से नहीं.
यह सारा बयानबाज़ी एक सोची-समझी योजना लगती है. भारत
पिछले चालीस वर्षों से पाकिस्तान द्वारा चलाये जा रहे अघोषित युद्ध का सामना कर
रहा है. इसमें कितने लोग मारे गये हैं मैं नहीं जानता. इन्टरनेट
पर देखने पर भी कोई सही आंकड़े नहीं मिले.
किसी टीवी चैनल पर कोई विशेषज्ञ दावा कर रहा था कि अस्सी हज़ार से अधिक लोग मारे गये हैं. पर इतना तो
सत्य है कि इन चालीस वर्षों में पाक द्वारा चलाये गये आतंकवाद के कारण पंजाब में,
जम्मू व् कश्मीर में, दिल्ली और देश के अन्य भागों में बड़ी संख्या में लोग मारे जा
चुके हैं.
आजतक हमारी प्रतिक्रिया क्या रही है?
या तो हम बातचीत करते रहे हैं या फिर वागाह बॉर्डर पर
मोमबत्तियां जलाते रहे हैं. लेकिन न
बातचीत से कुछ हुआ और न मोमबत्तियां जलाने से.
लोग वर्षों से चाह रहे थे कि सरकार को कोई सख्त कदम
उठाने चाहियें. लेकिन पाकिस्तान पर उल्ट वार करने का साहस किसी सरकार ने नहीं
दिखाया. जो लोग इस आतंकवाद की मार सहते आ
रहे हैं, वह अब इस ज़ुल्म को और सहन करने
को तैयार नहीं हैं.
जिस समय लोगों का गुस्सा भड़का हुआ था उसी समय मोदी सरकार
ने हमला करने का निर्णय लिया. यह बात लोगों को अच्छी लगी. ध्यान देने योग्य है कि कोई
आम नागरिक यह नहीं पूछ रहा कि ‘कितने आदमी
थे’. वह उत्साहित है और इस बात से प्रभावित हैं कि आखिरकार किसी सरकार ने
आतंकवादियों को उनके घर में घुस कर चोट पहुंचाने का साहस तो किया.
बालाकोट में एक आतंकवादी मरा या तीन सौ, महत्वपूर्ण नहीं
हैं, क्योंकि पाकिस्तान में आतंक के कई कारखाने काम कर रहे हैं. महत्वपूर्ण यह है
कि अब सरकार ने बता दिया है कि पाकिस्तान के भीतर जाकर भी आतंकवादियों पर हमला करने को सेना तैयार है.
एक आम आदमी भली-भांति जानता है कि एक गुंडा तब तक ही आप
को डरता है जब तक आप उससे डरते हैं. जिस दिन आप थोड़ा साहस कर, उसका मुकाबला करते
हैं वह बिदक जाता है. वह शायद फिर आपको परेशान करे, पर उसे उल्ट वार के लिये तैयार
रहना पड़ता है.
अब विपक्ष को यह बात हजम नहीं हो रही है कि मोदी सरकार के
निर्णय से लोग उत्साहित हैं. उन्हें लगा कि लोगों का ध्यान किसी और मुद्दे पर ले
जाना अनिवार्य हो गया था. तो सोची-समझी योजना के तहत सब एक साथ एक आवाज़ में पूछने
लगे कि बताओ, ‘कितने आदमी थे’. किसी ने तो यह तक कहा है कि पुलवामा आतंकी हमला बी
जे पी ने कर वाया था.
विपक्ष और मीडिया को इस बात की रत्ती भर भी परवाह नहीं
कि इस बयानबाज़ी से भारत की प्रतिष्ठा को चोट पहुँच रही है, शत्रु हमारी कमज़ोर कड़ियों को पहचान कर अपनी पकड़
में ले सकता है, सेना का मनोबल घट सकता है (आखिर क्यों कोई सैनिक ऐसे लोगों के लिए
अपनी जान दांव पर लगाना चाहेगा जो लोग उसका मान नहीं करते या उस पर अभिमान नहीं
करते).
विपक्ष को तो बस सरकार की साख को गिरानी है, और इसके लिए
वह किसी हद तक जाने को तैयार हैं.
लेकिन आम लोगों को एक बात ध्यान में रखनी होगी. जब
अफगानिस्तान से अमरीका के सेना लौट जायेगी, स्थिति और बिगड़ेगी, क्योंकि वहां पर
सक्रीय पाकिस्तान के पाले हुए आतंकवादी भारत की ओर चल पड़ेंगे.
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