जब टूटता है दिल
धोखे फरेब से
अविश्वास और संदेह से
नफरतों के खेल से
तो लहराता है दर्द का समंदर
रह जाते हैं हतप्रभ
अवाक् इंसानों के रूप से
सीधी सरल निष्कपट जिन्दगी
पड़ जाती असमंजस में
बहुरूपियों की दुनिया फिर
रास नहीं आती
उठती हैं अबूझ प्रश्नों की लहरें
आता है ज्वार फिर दिल के समंदर में
भटकता है जीवन
तलाशते किनारा
जीवन की नैया को
नहीं मिलता सहारा
हर और यही मंजर है
दिल में चुभता कोई खंजर है
मरती हुई इंसानियत से
दिल जार जार रोता है
ऐसे भी भला कोई
इंसानियत खोता है
जब उठता दर्द का समंदर
हर मंजर याद आता है
डूबती नैया को कहां
साहिल नजर आता है!!!
(अभिलाषा चौहान)
धोखे फरेब से
अविश्वास और संदेह से
नफरतों के खेल से
तो लहराता है दर्द का समंदर
रह जाते हैं हतप्रभ
अवाक् इंसानों के रूप से
सीधी सरल निष्कपट जिन्दगी
पड़ जाती असमंजस में
बहुरूपियों की दुनिया फिर
रास नहीं आती
उठती हैं अबूझ प्रश्नों की लहरें
आता है ज्वार फिर दिल के समंदर में
भटकता है जीवन
तलाशते किनारा
जीवन की नैया को
नहीं मिलता सहारा
हर और यही मंजर है
दिल में चुभता कोई खंजर है
मरती हुई इंसानियत से
दिल जार जार रोता है
ऐसे भी भला कोई
इंसानियत खोता है
जब उठता दर्द का समंदर
हर मंजर याद आता है
डूबती नैया को कहां
साहिल नजर आता है!!!
(अभिलाषा चौहान)
सादर आभार आपका यशोदा जी 🙏 शुभ प्रभात
जवाब देंहटाएंआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल मंगलवार (16-10-2018) को "सब के सब चुप हैं" (चर्चा अंक-3126) पर भी होगी।
जवाब देंहटाएं--
चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
--
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
सादर आभार आपका आदरणीय 🙏 मेरी रचना को सम्मिलित करने के लिए 🙏
जवाब देंहटाएंप्रिय अभिलाषा जी- संयोगवश आज आपकी रचना तक पहुंची और आपके परिचय तक भी | आपके बारे में जानकर बहुत अच्छा लगा |रचना बहुत अच्छी है | जीवन का गहन दर्शन लिए | हार्दिक बधाई |
जवाब देंहटाएंसादर आभार आपका रेनु जी
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर रचना
जवाब देंहटाएंधन्यवाद बहना
हटाएंसमंदर के लहरों की तरह निरंतर बहती सी रचना अति सुंदर शुभकामनाएं अभिलाषा जी
जवाब देंहटाएंस्नेहसिक्त प्रतिक्रिया के लिए आपका सादर आभार
हटाएंसुप्रिया जी
वाह!!!
जवाब देंहटाएंउम्दा अभिलाषा जी भावों को बहुत सुंदरता से पेश किया आपने।
स्नेहसिक्त प्रतिक्रिया के लिए आपका सादर आभार
जवाब देंहटाएंकुसुम दी 🙏
बेहतरीन रचना।
जवाब देंहटाएंसादर आभार आपका 🙏
हटाएंबहुत सुन्दर रचना अभिलाषा जी ...धोखे और फरेब से दिल जब टूटता है,सच वह तड़प दर्द के समन्दर सी ही होती है...लाजवाब भावाभिव्यक्ति..
जवाब देंहटाएंसादर आभार आपका 🙏 सुधा जी
हटाएं