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शनिवार, 27 अक्टूबर 2018

ग़ज़ल : हमें मालूम है संसद में फिर ---

ग़ज़ल  : हमें मालूम है संसद में फिर ---



हमें मालूम है संसद में कल फिर क्या हुआ होगा
कि हर मुद्दा सियासी ’वोट’ पर  तौला  गया होगा

वो,जिनके थे मकाँ वातानुकूलित संग मरमर  के
हमारी झोपड़ी के  नाम हंगामा   किया  होगा

जहाँ पर बात मर्यादा की या तहजीब की आई
बहस करते हुए वो गालियाँ  भी दे रहा  होगा

बहस होनी जहाँ पर थी किसी गम्भीर मुद्दे पर
वहीं संसद में ’मुर्दाबाद’ का  नारा लगा होगा

चलें होंगे कभी चर्चे जो रोटी पर ,ग़रीबी  पर
दिखा कर आंकड़ों  का खेल ,सीना तन गया होगा

कभी ’मण्डल’ ’कमण्डल पर , कभी ’मन्दिर. कि ’मस्जिद पर
इन्हीं के नाम बरसों से तमाशा हो रहा होगा

खड़ा है कटघरे में अब ,लगा आरोप ’आनन’ पर
कहीं पर भूल से सच बात उसने कह दिया होगा

-आनन्द.पाठक-

1 टिप्पणी:

  1. आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल सोमवार (29-10-2018) को "मन में हजारों चाह हैं" (चर्चा अंक-3139) पर भी होगी।
    --
    चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
    जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
    --
    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
    सादर...!
    राधा तिवारी

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