चन्द माहिया : क़िस्त 58
:1:
सदचाक हुआ दामन
तेरी उलफ़त में
बरबाद हुआ ’आनन’
:2:
क्यों रूठी है ,हमदम
कैसे मनाना है
कुछ तो सिखा जानम
:3:
दिल ले ही लिया तुमने
जाँ भी ले लेते
क्यों छोड़ दिया तुमने ?
:4:
गिर जाती है बिजली
रह रह कर दिल पर
लहरा के न चल पगली
:5:
क्या पाना क्या खोना
जब से गए हो तुम
दिल का खाली कोना
:1:
सदचाक हुआ दामन
तेरी उलफ़त में
बरबाद हुआ ’आनन’
:2:
क्यों रूठी है ,हमदम
कैसे मनाना है
कुछ तो सिखा जानम
:3:
दिल ले ही लिया तुमने
जाँ भी ले लेते
क्यों छोड़ दिया तुमने ?
:4:
गिर जाती है बिजली
रह रह कर दिल पर
लहरा के न चल पगली
:5:
क्या पाना क्या खोना
जब से गए हो तुम
दिल का खाली कोना
-आनन्द.पाठक--
आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल शुक्रवार (31-05-2019) को "डायरी का दर्पण" (चर्चा अंक- 3352) पर भी होगी।
जवाब देंहटाएं--
चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
--
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
बहुत खूब ....
जवाब देंहटाएंमनाना भी रूठने वाला ही सिखायेगा
हा हा हा --सही पकड़ा
हटाएंप्रेम करने वाला ’अनाड़ी’ जो है--
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