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बुधवार, 29 मई 2019

चन्द माहिया : क़िस्त 58

चन्द माहिया : क़िस्त 58

:1:
सदचाक हुआ दामन
तेरी उलफ़त में
बरबाद हुआ ’आनन’

:2:
क्यों रूठी है ,हमदम
कैसे मनाना है
कुछ तो सिखा जानम

:3:
दिल ले ही लिया तुमने
जाँ भी ले लेते
क्यों छोड़ दिया तुमने ?

:4:
गिर जाती है बिजली
रह रह कर दिल पर
लहरा के न चल पगली

:5:
क्या पाना क्या खोना
जब से गए हो तुम
दिल का खाली कोना



-आनन्द.पाठक--

4 टिप्‍पणियां:

  1. आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल शुक्रवार (31-05-2019) को "डायरी का दर्पण" (चर्चा अंक- 3352) पर भी होगी।
    --
    चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
    जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
    --
    सादर...!
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

    जवाब देंहटाएं
  2. बहुत खूब ....
    मनाना भी रूठने वाला ही सिखायेगा

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. हा हा हा --सही पकड़ा
      प्रेम करने वाला ’अनाड़ी’ जो है--

      हटाएं
  3. कंप्यूटर मोबाइल ब्लॉगिंग मेक मनी इंटरनेट से संबंधित ढेर सारी जानकारी अपनी मातृभाषा हिंदी में पढ़ने के लिए विजिट करें aaiyesikhe

    जवाब देंहटाएं