कुछ अनुभूतियाँ---
1
वह निर्णय था स्वयं तुम्हारा
ग़लत किया या सही किया था ,
अब पछताने से क्या होगा
दिल ने तुम से, सही कहा था ।
2
इतना कर न भरोसा, पगले !
उड़ते बादल का न ठिकाना ,
आज यहाँ, कल और कहीं हो
उसको क्या हमराज़ बनाना ।
3
झूठे सपने मत देखा कर
इन आँखों से जगते-सोते
तू भी जान रहा है, प्यारे!
सपने हैं ,कब पूरे होते ।
4
छुप छुप कर बातें करतीं थी
यादें तेरी तनहाई में -
कितने स्वप्न बुना करती थी
जीवन की नव तरूणाई में ।
-आनन्द.पाठक-
8800927181
इतना कर न भरोसा, पगले !
जवाब देंहटाएंउड़ते बादल का न ठिकाना ,
आज यहाँ, कल और कहीं हो
उसको क्या हमराज़ बनाना ।
आभार आप का
हटाएंसही कहा
जवाब देंहटाएंधन्यवाद आप का
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