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शनिवार, 23 जुलाई 2022
एक गीत - किसकी यह पाती है----
गुरुवार, 21 जुलाई 2022
काँवड यात्रा-कुछ दोहे
काँवडिया गाता चले,शिव महिमा के गीत।
आनंदित तन-मन लगे,मन में बसती प्रीत।
काँवडिया चलता चले,लेकर पावन नीर।
काँटे चुभते पाँव में,होता नहीं अधीर।
श्रावण के इस मास में,आओ शिव के द्वार।
औघड़ दानी वे सदा,करें सदा उद्धार।
काँवड़ शिव के नाम की,लेकर चलते लोग।
भक्ति भावना से भरे,करें ध्यान अरु योग।।
काँवड़ काँधे पर सजी,मुख में शिव का नाम।
संगी-साथी मिल चले,पहुँचे शिव के धाम।।
अभिलाषा चौहान
रविवार, 17 जुलाई 2022
ॐ नमः शिवाय
ॐ नमः शिवाय
ॐ नमः शिवाय
कण कण में शंकर
मन मन में शंकर
ब्रह्मांड समस्त है
शिव शंकाराय
ॐ नमः शिवाय
भस्म रमाए
और चर्म चढ़ाए
गंगा जटाओं में
ऐसे समाय
ॐ नमः शिवाय
चंद्र विभूषित
शक्ति सुशोभित
त्रिनेत्र में जल थल
प्रलय है समाय
ॐ नमः शिवाय
आंखों में करुणा
और विरक्ति के भाव
विषय वासना पर
विजय है शिवाय
ॐ नमः शिवाय
है प्रेम के भूखे
भाव के भूखे
धतूरा बेल
विभूति चढ़ाय
ॐ नमः शिवाय
सोमनाथाय
ममलेश्वराय
द्वादश ज्योर्तिलिंग
स्वरूपाय
ॐ नमः शिवाय
एक ग़ज़ल : चुभी है बात कोई
एक ग़ज़ल
चुभी है बात उसे कौन सी पता भी नहीं ,
कई दिनों से वो करता है अब ज़फ़ा भी नहीं ।
हर एक साँस अमानत में सौंप दी जिसको ,
वही न हो सका मेरा , कोई गिला भी नहीं ।
किसी की बात में आकर ख़फ़ा हुआ होगा,
वो बेनियाज़ नहीं है तो आशना भी नहीं ।
ज़ुनून-ए-शौक़ ने रोका हज़ार बार उसे ,
ख़फ़ा ख़फ़ा सा रहा और वह रुका भी नहीं ।
ख़याल-ए-यार में इक उम्र काट दी मैने ,
कमाल यह है कि उससे कभी मिला भी नहीं ।
तमाम उम्र उसे मैं पुकारता ही रहा ,
सुना ज़रूर मगर उसने कुछ कहा भी नहीं ।
हर एक शख़्स के आगे न सर झुका ’आनन’
ज़मीर अपना जगा, हर कोई ख़ुदा भी नहीं ।
-आनन्द.पाठक-
मो0 8800927181
रविवार, 10 जुलाई 2022
कुछ अनुभूतियाँ
कुछ अनुभूतियाँ
01
कल तुमने की नई शरारत,
दिल में अभी हरारत सी है
ख़्वाब हमारे जाग उठे फिर
राहत और शिकायत भी है
02
जब तुम को था दिल बहलाना
पहले ही यह बतला देते
लोग बहुत तुम को मिल जाते,
चाँद सितारे भी ला देते ।
03
मधुर कल्पना मधुमय सपनें
कर्ज़ तुम्हारा है, भरना है,
जीवन की तपती रेती पर
नंगे पाँव सफ़र करना है ।
04
मत पूछो यह कैसे तुम बिन
विरहा के दिन, कठिन ढले हैं ,
आज मिली तो लगता ऐसे
जनम जनम के बाद मिले हैं ।
-आनन्द.पाठक-
शुक्रवार, 8 जुलाई 2022
रुचि छंद "कालिका स्तवन"
जन्म दिन - 28 अगस्त, 1952;
निवास स्थान - तिनसुकिया (असम)
रुचि - काव्य की हर विधा में सृजन करना। हिन्दी साहित्य की हर प्रचलित छंद, गीत, नवगीत, हाइकु, सेदोका, वर्ण पिरामिड, गज़ल, मुक्तक, सवैया, घनाक्षरी इत्यादि।
सम्मान- मेरी रचनाएँ देश के सम्मानित समाचारपत्र और अधिकांश प्रतिष्ठित वेब साइट में नियमित रूप से प्रकाशित होती रहती हैं। हिन्दी साहित्य से जुड़े विभिन्न ग्रूप और संस्थानों से कई अलंकरण और प्रसस्ति पत्र नियमित प्राप्त होते रहते हैं।
प्रकाशित पुस्तकें- गूगल प्ले स्टोर पर मेरी दो निशुल्क ई बुक प्रकाशित हैं।
(1) "मात्रिक छंद प्रभा" जिसकी गूगल बुक आइ डी :- 37RT28H2PD2 है। (यह 132 पृष्ठ की पुस्तक है जिसमें मात्रिक छंदों की मेरी 91 कविताएँ विधान सहित संग्रहित हैं। पुस्तक के अंत में 'मात्रिक छंद कोष' दिया गया है जिसमें 160 के करीब मात्रिक छंद विधान सहित सूचीबद्ध हैं।)
(2) "वर्णिक छंद प्रभा" जिसकी गूगल बुक आइ डी :- 509X0BCCWRD है। (यह 134 पृष्ठ की पुस्तक है जिसमें वर्णिक छंदों की मेरी 95 कविताएँ विधान सहित संग्रहित हैं। पुस्तक के अंत में 'वर्णिक छंद कोष' दिया गया है जिसमें 430 के करीब वर्णिक छंद विधान सहित सूचीबद्ध हैं।)
Web Site - visit kavikul.com
वर्ष छंद (बाल कविता)
जन्म दिन - 28 अगस्त, 1952;
निवास स्थान - तिनसुकिया (असम)
रुचि - काव्य की हर विधा में सृजन करना। हिन्दी साहित्य की हर प्रचलित छंद, गीत, नवगीत, हाइकु, सेदोका, वर्ण पिरामिड, गज़ल, मुक्तक, सवैया, घनाक्षरी इत्यादि।
सम्मान- मेरी रचनाएँ देश के सम्मानित समाचारपत्र और अधिकांश प्रतिष्ठित वेब साइट में नियमित रूप से प्रकाशित होती रहती हैं। हिन्दी साहित्य से जुड़े विभिन्न ग्रूप और संस्थानों से कई अलंकरण और प्रसस्ति पत्र नियमित प्राप्त होते रहते हैं।
प्रकाशित पुस्तकें- गूगल प्ले स्टोर पर मेरी दो निशुल्क ई बुक प्रकाशित हैं।
(1) "मात्रिक छंद प्रभा" जिसकी गूगल बुक आइ डी :- 37RT28H2PD2 है। (यह 132 पृष्ठ की पुस्तक है जिसमें मात्रिक छंदों की मेरी 91 कविताएँ विधान सहित संग्रहित हैं। पुस्तक के अंत में 'मात्रिक छंद कोष' दिया गया है जिसमें 160 के करीब मात्रिक छंद विधान सहित सूचीबद्ध हैं।)
(2) "वर्णिक छंद प्रभा" जिसकी गूगल बुक आइ डी :- 509X0BCCWRD है। (यह 134 पृष्ठ की पुस्तक है जिसमें वर्णिक छंदों की मेरी 95 कविताएँ विधान सहित संग्रहित हैं। पुस्तक के अंत में 'वर्णिक छंद कोष' दिया गया है जिसमें 430 के करीब वर्णिक छंद विधान सहित सूचीबद्ध हैं।)
Web Site - visit kavikul.com
शनिवार, 2 जुलाई 2022
चन्द माहिए
चन्द माहिए
:1:
ये कैसी माया है !
तन तो है अपना,
मन तुझ में समाया है।
:2:
इस फ़ानी हस्ती पर
दाँव लगाए ज्यों
कागज़ की कश्ती पर
:3:
ये कैसा रिश्ता है !
ओझल है फिर भी,
दिल रमता रहता है।
:4:
बेचैन बहुत है दिल,
कब तक मैं तड़पूं?
अब तो बस आकर मिल।
:5:
अन्दर की सब बातें
लाख छुपाओ तुम
कह देती हैं आँखें
-आनन्द.पाठक-