चन्द माहिए
:1:
ये कैसी माया है !
तन तो है अपना,
मन तुझ में समाया है।
:2:
इस फ़ानी हस्ती पर
दाँव लगाए ज्यों
कागज़ की कश्ती पर
:3:
ये कैसा रिश्ता है !
ओझल है फिर भी,
दिल रमता रहता है।
:4:
बेचैन बहुत है दिल,
कब तक मैं तड़पूं?
अब तो बस आकर मिल।
:5:
अन्दर की सब बातें
लाख छुपाओ तुम
कह देती हैं आँखें
-आनन्द.पाठक-
सुंदर प्रस्तुति
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जवाब देंहटाएंआपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" बुधवार 6 जुलाई 2022 को साझा की गयी है......... पाँच लिंकों का आनन्द पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
अथ स्वागतम शुभ स्वागतम।
बहुत ही सुन्दर माहिये
जवाब देंहटाएंवाह!!!
बहुत अच्छे माहिए
जवाब देंहटाएंलेकिन ये माहिए होते क्या है?
सुन्दर सर्जन
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