शांति सुख से ही प्राप्त होती है ।सुख का मापदण्ड सबके लिए अलग-अलग है।किसी का सुख सांसारिक वस्तुओं में है तो किसी का पारलौकिक। वास्तविक सुख की परिकल्पना अत्यंत सूक्ष्म है ।सुख को आनंद का पर्याय भी कह सकते हैं,लेकिन सुख और आनंद में पर्याप्त अंतर है।जो इस अंतर को समझ सकें वे सभी आनंदित हो और अन्य सभी सुखी रहें।🙏🙏🙏
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बुधवार, 22 फ़रवरी 2023
मेरी कलम से
शांत मन ,शांत मस्तिष्क, शांत हृदय
मैं डॉ. शिल्पी श्रीवास्तव निवासी मेंहदौरी कॉलोनी प्रयागराज।वर्तमान में मैं एम.पी.वी.एम.गंगागुरुकुलम विद्यालय, प्रयागराज में हिंदी और संस्कृत के अध्यापिका हूँ। मैंने वर्ष 2002 में इलाहाबाद विश्वविद्यालय से संस्कृत में एम.ए. की परीक्षा उत्तीर्ण की एवं सर्वोच्च स्थान प्राप्त कर गोल्ड मेडल प्राप्त किया । फिर मैंने 2005 में नेट की परीक्षा उत्तीर्ण की एवं इलाहाबाद विश्वविद्यालय के संस्कृत विभाग से शोध कार्य किया।मेरा शोध विषय है- पदार्थ धर्मसंग्रह: एक परिशीलन। मेरे पिता श्री अशोक कुमार श्रीवास्तव इलाहाबाद उच्च न्यायालय में अधिवक्ता हैं एवं माता श्रीमती शशि श्रीवास्तव गृहस्वामिनी हैं। 2009 में मेरा विवाह श्री सुधीर श्रीवास्तव के साथ हुआ जो इलाहाबाद उच्च न्यायालय में अधिवक्ता हैं। सन 2010 में मुझे पुत्र रत्न की प्राप्ति हुई मेरे बेटे का नाम हर्ष श्रीवास्तव है।मेरा हिंदी साहित्य लेखन के प्रति विशेष झुकाव है।इसी झुकाव के कारण हाल ही में मैंने हिंदी से पुनः एम.ए. किया। मैं कविताएं लिखती हूँ ,साथ ही मैंने कुछ कहानियाँ भी लिखी हैं । मेरी कविताओं को आप yourquots ऐप पर और कहानियों को STORYMIRROR ऐप पर पढ़ सकते हैं।
धन्यवाद
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