कभी-कभी लगता है,
सब अपने ही तो हैं,
कह दूँ सारी बातें,
खोल दूँ सारी गिरहें,
गिरा दूँ सारे पर्दे,
फिर रोक लेती हूँ ख़ुद को,
कितने भी अपने हों?
हैं तो सभी दुनिया वाले!
और यह दुनिया कभी किसी की हुई है क्या?
यह दुनिया लोगों को बदनाम करने का दम रखती है,
यह दुनिया लोगों को बेवजह परेशान करने का दम रखती है,
दुनिया ही तो है जिसे चढ़ाने में भी पल भर लगता है,
और गिराने में भी वक्त नहीं लगता,
सावधान! इस दुनिया से,
जिसे तुम अपना कहते हो वह तो बस सपना है,
जब तक नींद न खुले बस उतने ही पल अपना है।
भावपूर्ण अभिव्यक्ति
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