किं आश्चर्यम
महाभारत में वृत्तांत है यक्ष ने युधिष्ठिर से जो ६० सवाल पूछे थे उनमें से एक यह
भी था ,कि युधिष्ठिर यह बतलाओ इस विश्व में सबसे बड़ा आश्चर्य क्या है। तब
युधिष्ठिर ने जो कहा वह इस प्रकार था :
अहानि अहानि भूतानि ,गच्छन्ति यम मन्दिरम् ।
शेषा : जीवितुं इच्छन्ति किं आश्चर्यम अत : परं .
इसका अर्थ कुछ कुछ यूं होगा प्रतिदिन जितने भी प्राणि है मृत्यु की तरफ जा
रहे
हैं। यह देखते हुए भी शेष जो लोग हैं वह जीवन की जो आशा है उसके मोह से
मुक्त नहीं हो रहे हैं। इससे बड़ा आश्चर्य और क्या हो सकता है।
Perhaps intuitively one knows that there is some portion of us
which never dies .But why then there is fear of death ?
The answer is ignorance of the self .
"that I am that consciousness which is eternal and all pervading ."
"सत्यं ज्ञानम् अनन्तं "
Once they know that ,the fear will vanish .
महाभारत में वृत्तांत है यक्ष ने युधिष्ठिर से जो ६० सवाल पूछे थे उनमें से एक यह
भी था ,कि युधिष्ठिर यह बतलाओ इस विश्व में सबसे बड़ा आश्चर्य क्या है। तब
युधिष्ठिर ने जो कहा वह इस प्रकार था :
अहानि अहानि भूतानि ,गच्छन्ति यम मन्दिरम् ।
शेषा : जीवितुं इच्छन्ति किं आश्चर्यम अत : परं .
इसका अर्थ कुछ कुछ यूं होगा प्रतिदिन जितने भी प्राणि है मृत्यु की तरफ जा
रहे
हैं। यह देखते हुए भी शेष जो लोग हैं वह जीवन की जो आशा है उसके मोह से
मुक्त नहीं हो रहे हैं। इससे बड़ा आश्चर्य और क्या हो सकता है।
Perhaps intuitively one knows that there is some portion of us
which never dies .But why then there is fear of death ?
The answer is ignorance of the self .
"that I am that consciousness which is eternal and all pervading ."
"सत्यं ज्ञानम् अनन्तं "
Once they know that ,the fear will vanish .
प्रतिदिन जितने भी प्राणि है मृत्यु की तरफ जा रहे हैं। यह देखते हुए भी शेष जो लोग हैं वह जीवन की जो आशा है उसके मोह से मुक्त नहीं हो रहे हैं। इससे बड़ा आश्चर्य और क्या हो सकता है।
जवाब देंहटाएंसत्यं ज्ञानम् अनन्तं...
..प्रेरक प्रस्तुति ..
अच्छी ज्ञान की प्रस्तुति !
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर प्रस्तुति।
जवाब देंहटाएं--
आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल रविवार (09-11-2014) को "स्थापना दिवस उत्तराखण्ड का इतिहास" (चर्चा मंच-1792) पर भी होगी।
--
चर्चा मंच के सभी पाठकों को
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'