पहलगाम यात्रा
गुलमर्ग की सफल और सुखद यात्रा के बाद मैं अपने अगले पड़ाव "पहलगाम" की तरफ निकल पड़ा। पहलगाम यानि चरवाहों का घाटी। समुद्र तल से तक़रीबन ७५००ft की ऊंचाई पर स्थित पहलगाम कश्मीर के खूबसूरत वादियों में एक और खूबसूरत स्थल जो स्वदेशी एवं विदेशी शैलानियों में समान रूप से प्रसिद्ध है। शेषनाग एवं लिद्दर नदी के संगम पर स्थित यह पर्यटन शहर अपने प्राकृतिक खूबसूरती के लिए विख्यात है। दिल्ली में यमुना नदी का प्रदूषित काले रंग का पानी देखने के बाद लिद्दर नदी की हरे रंग का स्वच्छ बहता पानी बेहद ही खूबसूरत लगता है और आपको रोमांचित कर सकता है।
पिकनिक मनाने के लिहाज से पहाड़ों से घिरे और बहते लिद्दर नदी का किनारा से बेहतर कोई और स्थान हो ही नही सकता। पहलगाम में बेहद ही खूबसूरत १८ होल गोल्फ कोर्स, कुछ फुलवारी और लिद्दर नदी में मछली पकड़ने का लुत्फ़ उठाने के सिवा कुछ खास नही मिला। जिन्हें घुड़सवारी करने का शौक है, उनके लिए पोनी सवारी की सुविधा है। एक वक्त था जब पहलगाम हिंदी सिनेमा फिल्माने के लिए एक महत्वपूर्ण स्थल था। परंतु कश्मीर में आतंकवादी गतिविधियाँ बढ़ने की वजह से बॉलीवुड ने वहां शूटिंग बंद कर दिया। हालाँकि अब धीरे-धीरे फिर से कुछ हिंदी सिनेमा की शूटिंग शुरू हुई है। सर्दी के मौसम में तो पहलगाम की पहाडियाँ बर्फ से ढँक जाती है और तापमान -१५ C तक लुढ़क जाता है।
पहलगाम का एक दृश्य |
पहलगाम का एक दृश्य
पहलगाम का एक दृश्य |
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लिद्दर नदी का एक दृश्य |
पहलगाम से तक़रीबन १२km और ऊपर "अरु" नामक स्थान है जहाँ से कोल्हाई ग्लेशियर, कतरनाग, तरसर एवं मर्सर लेक के लिए ट्रैकिंग शुरू होता है। बढ़ते ग्लोबल वार्मिंग का असर कोल्हाई ग्लेशियर पर भी पड़ा है और अब यह पिघल कर आधे से भी कम रह गया है।
तरसर लेक
मर्सर लेक
पहलगाम से तक़रीबन १५km और ऊपर चढ़ने पर, समुद्र तल से तक़रीबन ९५०० ft की ऊंचाई पर स्थित "चंदनवारी" नामक स्थान है। बाबा अमरनाथ के दर्शन के लिए जा रहे श्रद्धालुओं की यात्रा यहीं से शुरू होती है। पहलगाम से चंदनवारी तक का सफर गाड़ी से तय किया जाता है, परंतु चंदनवारी से आगे सड़क की सुविधा नहीं होने और अत्यधिक चढ़ाई के कारण श्रद्धालुओं को पैदल या पोनी की सवारी लेनी पड़ती है। अमरनाथ गुफा इस स्थान से तक़रीबन ३२ km की दुरी पर है। शेषनाग लेक अमरनाथ गुफा के रास्ते में चंदनवारी से तक़रीबन १२ km दूर समुद्री तल से ११७००ft की ऊंचाई पर स्थित है।
जब मैं चंदनवारी पहुंचा था उसी समय अमरनाथ यात्रा की समाप्ति हुई थी इसलिए वहां सेना, सरकार, गैर-सरकारी संस्थानों एवं निजी व्यक्तियों द्वारा लगाये गए कैम्प्स एवं प्रदान की जानेवाली सुविधाओं को हटाए जाने की प्रक्रिया को देख पाया था। यहीं पर ७-८ ft मोटी ग्लेशियर देखने का अवसर प्राप्त हुआ जो धुप की वजह से धीरे-धीरे पिघल रहा था।
अमरनाथ यात्री पंजीकरण एवं प्रवेश द्वार |
अमरनाथ यात्रियों के रुकने के लिए अस्थायी / स्थायी टेंट और हट |
चंदनबाड़ी में भारतीय सेना का कैंप का एक दृश्य |
अमरनाथ गुफा की दुरी दर्शाता बोर्ड |
अमरनाथ गुफा की तरफ जाता सीढ़ी |
पिघलते हुए ग्लेशियर का एक दृश्य |
पिघलते हुए ग्लेशियर का एक दृश्य |
चंदनवारी और पहलगाम के अलावा एक और रमणीक स्थल है जो "बेताब वैली" के नाम से मशहूर है। पीर पंजल एवं जंस्कार हिमालय पर्वत श्रृंखला के बीच स्थित यह घाटी हरे-भरे घास, बर्फ से ढंके पहाड़ों और ऊँचे-ऊँचे देवड़दार के पेड़-पौधों के लिए विख्यात है। इस स्थान का नाम सनी देओल-अमृता सिंह की पहली हिट फिल्म "बेताब" के नाम पर रखा गया जिसकी अधिकांश शूटिंग इसी वादी में हुई थी। इस स्थान पर एक बहुत बड़ी पार्क है जिसके मध्य में लिद्दर नदी बहती है। पार्क में अनेक पेड़-पौधे देखे जा सकते हैं और स्थानीय लोगों के लिए पिकनिक एवं मनोरंजन का एक महत्वपूर्ण स्थान जान पड़ता है।
बेताब वैली का एक दृश्य |
बेताब वैली |
बेताब वैली के मध्य से बहता लिद्दर नदी |
बेताब वैली पार्क से वैली का दृश्य |
पार्क के अंदर का एक दृश्य |
पार्क से वैली का दृश्य |
पार्क से वैली का दृश्य |
पार्क के अंदर का दृश्य |
पार्क के अंदर का दृश्य |
पार्क के अंदर का दृश्य |
पार्क के अंदर का दृश्य |
पार्क के अंदर का दृश्य |
पार्क के अंदर का दृश्य |
पार्क के मध्य से बहता लिद्दर नदी |
पार्क के मध्य लिद्दर नदी के किनारे |
पार्क के मध्य लिद्दर नदी के किनारे |
पार्क के मध्य लिद्दर नदी के किनारे |
मुख्य सड़क के साथ-साथ बहता लिद्दर नदी (पानी हरे रंग का है) |
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