:1:
सौ बुत में नज़र आया
इक सा लगता है
जब दिल में उतर आया
:2:
जाना है तेरे दर तक
ढूँढ रहा हूँ मैं
इक राह तेरे घर तक
:3:
पंछी ने कब माना
मन्दिर मस्जिद का
होता है अलग दाना
:4:
किस मोड़ पे आज खड़े
क़त्ल हुआ इन्सां
मज़हब मज़ह्ब से लड़े
:5;
इक दो अंगारों से
क्या समझोगे ग़म
दरिया का ,किनारों से
-आनन्द.पाठक-
09413395592
visit my blog
www.akpathak3107.blogspot.in
सौ बुत में नज़र आया
इक सा लगता है
जब दिल में उतर आया
:2:
जाना है तेरे दर तक
ढूँढ रहा हूँ मैं
इक राह तेरे घर तक
:3:
पंछी ने कब माना
मन्दिर मस्जिद का
होता है अलग दाना
:4:
किस मोड़ पे आज खड़े
क़त्ल हुआ इन्सां
मज़हब मज़ह्ब से लड़े
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इक दो अंगारों से
क्या समझोगे ग़म
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