एक
कहानी सुनाता हूँ
जो
आँखों की बयानी है,
वो
कुर्सी जो बैठी है
हुकूमत
की निशानी है।
राजा
की तरह उसपर
जो
इंसान है बैठा,
गलतफहमी
में रहता है
कि
भगवान है बैठा।
जी
हुज़ूरी की यहाँ
वो
सरकार चलाता है,
है
धोखे में पड़ा
कि
संसार चलाता है।
अमीरों
की है सुनता
बस
पैसा उगाता है,
ज़मीनें
बंजर हो रहीं, देखो
किसान
फंदा लगाता है।
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