दो मुक्तक
:1:
बात यूँ ही निकल गई होगी
रुख़ की रंगत बदल गई होगी
नाम मेरा जो सुन लिया होगा
चौंक कर वो सँभल गई होगी
:2;
कौन सा है जो ग़म दिल पे गुज़रा नहीं
बारहा टूट कर भी हूँ बिखरा नहीं
अब किसे है ख़बर क्या है सूद-ओ-ज़ियाँ
इश्क़ का ये नशा है जो उतरा नहीं
शब्दार्थ
सूद-ओ-जियाँ = लाभ-हानि
आनन्द.पाठक
08800927181
:1:
बात यूँ ही निकल गई होगी
रुख़ की रंगत बदल गई होगी
नाम मेरा जो सुन लिया होगा
चौंक कर वो सँभल गई होगी
:2;
कौन सा है जो ग़म दिल पे गुज़रा नहीं
बारहा टूट कर भी हूँ बिखरा नहीं
अब किसे है ख़बर क्या है सूद-ओ-ज़ियाँ
इश्क़ का ये नशा है जो उतरा नहीं
शब्दार्थ
सूद-ओ-जियाँ = लाभ-हानि
आनन्द.पाठक
08800927181
आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा आज रविवार (22-01-2017) को "क्या हम सब कुछ बांटेंगे" (चर्चा अंक-2583) पर भी होगी।
जवाब देंहटाएं--
चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट अक्सर नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'