चन्द माहिए-
1
जब जब घिरते बादल,
प्यासी धरती क्यों,
होने लगती पागल ?
:2:
भूले से कभी आते,
मेरी दुनिया में,
वादा तो निभा जाते।
:3:
इस मन में उलझन है,
धुँधला है जब तक,
यह मन का दरपन है।
:4:
जब छोड़ के जाना था,
फिर क्यों आए थे ?
क्या दिल बहलाना था ?
5
अब और कहाँ जाना,
तेरी आँखों का
यह छोड़ के मयखाना।
-आनन्द.पाठक-
आपकी इस प्रविष्टि के लिंक की चर्चा कल शनिवार (11-06-2022) को चर्चा मंच "उल्लू जी का भूत" (चर्चा अंक-4458) (चर्चा अंक-4395) पर भी होगी!
जवाब देंहटाएं--
सूचना देने का उद्देश्य यह है कि आप उपरोक्त लिंक पर पधार कर चर्चा मंच के अंक का अवलोकन करे और अपनी मूल्यवान प्रतिक्रिया से अवगत करायें।
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हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
वाह गहन सुंदर महिये !!
जवाब देंहटाएंवाह गहन सुंदर माहिये
जवाब देंहटाएंवाह!!!
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर माहिये।