कि इंसा फंसा बिसात पर
अतीत में जो महापुरूष जब कभी अवतरित हुये जमीन पर
भरपूर शिक्षा के साथ ही सौगात खुदाई खौफ की दे
गये
होकर प्रभावित पीढियों ने उन्हें ही महिमा मंडित कर दिया
दफना शिक्षा को कर आकार विचार दीवालों पर लिख दिया
इक ओर खौफ खुदाई दूजी तरफ वासना में
इंसा जिया
जाने कैसी कशिश नामुराद बख्शी खुदा ने कयानात को
न हो सका फैसला अब तक यह आग राग बाग नाग हैं
नाम दें कुछ भी मगर यह तय कि
इंसा फंसा बिसात पर
पथिक अनजाना
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