औरों की तरह "हाँ’ में कभी "हाँ’ नहीं किया
शायद इसीलिए मुझे पागल समझ लिया
जो कुछ दिया है आप ने एहसान आप का
उन हादिसात का कभी शिकवा नहीं किया
उलफ़त न हो ज़लील , मुहब्बत की शान में
उसने दिया जो जहर मैने जहर भी पिया
दो-चार बात तुम से भी करनी थी .ज़िन्दगी !
लेकिन ग़म-ए-हयात ने मौक़ा नहीं दिया
आदिल बिके हुए हैं जो क़ातिल के हाथ में
साहिब ! तिरे निज़ाम का सौ बार शुक्रिया
क़ानून भी वही है ,सज़ायाफ़्ता वही
मुजरिम को देखने का नज़रिया बदल लिया
पैसे की ज़ोर पे वो ज़मानत पे है रिहा
क़ानून का ख़याल है ,इन्साफ़ कर दिया
’आनन’ तुम्हारे दौर का इन्साफ़ क्या यही !
हक़ में अमीर के ही सदा फ़ैसला किया
09413395592
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