मित्रों!

आप सबके लिए “आपका ब्लॉग” तैयार है। यहाँ आप अपनी किसी भी विधा की कृति (जैसे- अकविता, संस्मरण, मुक्तक, छन्दबद्धरचना, गीत, ग़ज़ल, शालीनचित्र, यात्रासंस्मरण आदि प्रकाशित कर सकते हैं।

बस आपको मुझे मेरे ई-मेल roopchandrashastri@gmail.com पर एक मेल करना होगा। मैं आपको “आपका ब्लॉग” पर लेखक के रूप में आमन्त्रित कर दूँगा। आप मेल स्वीकार कीजिए और अपनी अकविता, संस्मरण, मुक्तक, छन्दबद्धरचना, गीत, ग़ज़ल, शालीनचित्र, यात्रासंस्मरण आदि प्रकाशित कीजिए।


फ़ॉलोअर

शुक्रवार, 15 मई 2015

एक ग़ज़ल : औरों की तरह .....



औरों की तरह "हाँ’ में कभी "हाँ’ नहीं किया
शायद इसीलिए  मुझे   पागल समझ लिया

जो कुछ दिया है आप ने एहसान आप  का

उन हादिसात का कभी  शिकवा  नहीं किया

उलफ़त न हो ज़लील , मुहब्बत की शान में

उसने दिया जो जहर  मैने जहर  भी  पिया

दो-चार बात तुम से भी करनी थी .ज़िन्दगी !

लेकिन ग़म-ए-हयात ने  मौक़ा  नहीं  दिया

आदिल बिके हुए हैं जो क़ातिल के हाथ  में

साहिब ! तिरे निज़ाम का सौ  बार  शुक्रिया

क़ानून भी वही है ,सज़ायाफ़्ता  वही

मुजरिम को देखने का नज़रिया बदल लिया

पैसे की ज़ोर पे वो ज़मानत पे है रिहा
क़ानून का ख़याल है ,इन्साफ़ कर दिया

’आनन’ तुम्हारे दौर का इन्साफ़ क्या यही !

हक़ में अमीर के ही  सदा फ़ैसला   किया

-आनन्द.पाठक-
09413395592

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें