शब्दों के बदन नहीं होते
और
नही होती रूह मगर ये फिर भी ज़िंदा रहते है हमारे ज़ेहन में....जैसे ...
कुछ हादसे
गुज़र जाने पे भी
नही गुज़रा करते...
बस वैसे ही
मैं भी तुम पे गुज़रा हुआ
ऐसा ही एक हादसा हूं...
मैं गुज़र जाऊंगी
और
एक दिन
शायद तुम भी...
मगर
मेरे शब्द ...
मेरी कविताएं...
मेरे गीत...
किस्से है तुम्हारे...
वे यहीं रहेंगे -हमेशा
हमेशा के लिए !!!
अच्छी कविता अच्छा ब्लॉग।बधाई और हार्दिक शुभकामनाएं।
जवाब देंहटाएंवाह संध्या जी, अनुराग से भरे हृदय के अनमोल भाव मन को छू गए। हार्दिक शुभकामनाएं इस भावपूर्ण लेखन के लिए🙏🙏
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर
जवाब देंहटाएंaap bahut accha article likhte ho.. good job Pubg kis desh ka hai
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर रचना।
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर लिखा है
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