बस खर्च बता तू ख्वाहिश का
तेरी गुल्लक भी बन जाऊं मैं
सपनों के कारोबारी में
तेरा नफ़ा ही बन जाऊं मैं
तेरे सुख दुख के बहीखाते से
हर दुख को ही हर जाऊं मैं
खुशियों के सिक्के चंद बनूं
तुझ पे जी भर लुट जाऊं मैं
हर हुक्म की बस तामील करूं
जिन्न जादुई बन जाऊं मैं
मैं मोह और मायाजाल मैं ही
तेरा मोक्ष भी बन जाऊं मैं
तू खर्च बता तेरी ख्वाहिश का
एटीएम भी बन जाऊं मैं ..
बेहतरीन रचना
जवाब देंहटाएंसुन्दर अभिव्यक्ति....
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