[ डायरी के पन्नों से---
नोट : आज वसन्त पंचमी है, और सरस्वती पूजा भी।
इसी क्रम में ------]
सरस्वती वंदना
हंसवाहिनी ! ज्ञानदायिनी ! ज्ञान कलश भर दे !
माँ शारदे वर दे ।
मिटे तमिस्रा कल्मष मन का
मन निर्मल कर दो जन जन का
वीणापाणि! सिर पर मेरे,वरद हस्त धर दे!
माँ! वागेश्वरी ! वर दे !
अंधकार पर विजय लिखे हम
सच के हक़ में खड़े रहें हम
निडर लेखनी चले निरन्तर, धार प्रखर कर दे !
!माँ भारती ! वर दे !
सप्ततार वीणा के झंकृत
हो जाते सब राग अलंकृत
बहे कंठ से स्वर लहरी माँ, राग अमर कर दे !
माँ सरस्वती ! वर दे ।
-आनन्द.पाठक-
good poetry
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