यूँ ना इस अंदाज़ में हमको देखा करो
मुहब्बत हो गयी तो फिर ना कहना हमसे
ये शोख अदाएं अक्सर बहकाती हैं दिल को
शरारत हो गयी तो फिर ना कहना हमसे
इन निगाहों में घर बसा लो हसीन ख्याबों के
कयामत हो गयी तो फिर ना कहना हमसे
सुना है बहुत नाज़ुक दिल रखते हैं आप
इनायत हो गयी तो फिर ना कहना हमसे
बड़ा हुजूम है इश्क़ के मारों का आपके शहर में
बगावत हो गयी तो फिर ना कहना हमसे
बहुत बेताब है वस्ले शब की तमन्ना दिल में
मुखातिब हो गयी तो फिर ना कहना हमसे
कभी लगती है खुदाया सी आपकी नवाजिशें
इबादत हो गयी तो फिर ना कहना हमसे
मुहब्बत हो गयी तो फिर ना कहना हमसे
ये शोख अदाएं अक्सर बहकाती हैं दिल को
शरारत हो गयी तो फिर ना कहना हमसे
इन निगाहों में घर बसा लो हसीन ख्याबों के
कयामत हो गयी तो फिर ना कहना हमसे
सुना है बहुत नाज़ुक दिल रखते हैं आप
इनायत हो गयी तो फिर ना कहना हमसे
बड़ा हुजूम है इश्क़ के मारों का आपके शहर में
बगावत हो गयी तो फिर ना कहना हमसे
बहुत बेताब है वस्ले शब की तमन्ना दिल में
मुखातिब हो गयी तो फिर ना कहना हमसे
कभी लगती है खुदाया सी आपकी नवाजिशें
इबादत हो गयी तो फिर ना कहना हमसे
-मनीष गुप्ता
बहुत सुन्दर रचना पोस्ट की है आपने!
जवाब देंहटाएंयशोदा बहन आपका आभार!
आपका ब्लॉग में आपका स्वागत है और अभिनन्दन भी!
बढ़िया -
जवाब देंहटाएंशुभकामनायें-
मैं भी यशोदा जी की इस कला से बहुत वक्त से वाकिफ़ हूँ ...बहुत कम लोग ऐसे हैं जो हर किसी को बढ़ावा देते हैं ...
जवाब देंहटाएंसच में आज की साँझा की गई कृति ...बहुत खूबसूरत है
बहुत सुन्दर रचना!
जवाब देंहटाएंसुना है बहुत नाज़ुक दिल रखते हैं आप
जवाब देंहटाएंइनायत हो गयी तो फिर ना कहना हमसे
खूबसरत पंक्तियाँ.......
बधाई ....
जवाब देंहटाएंबहुत खुबसूरत रचना !
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कभी लगती है खुदाया सी आपकी नवाजिशें
जवाब देंहटाएंइबादत हो गयी तो फिर ना कहना हमसे
बहुत सुन्दर
लाजवाब