मैं कश्ती तू पतवार प्रिये |
तू मांझी मैं मंझधार प्रिये |
तुम वित्तमंत्री बन जाना |
मैं गृहमंत्री बन जाऊँगी |
तुम मेरे स्वप्न सजा देना |
मैं तेरा घर महका दूंगी |
पूरा होगा परिवार प्रिय |
तू मांझी मैं मंझधार प्रिय
तुम खूब कमा कर घर आना |
मैं शोपिंग लिस्ट थमा दूंगी |
भूले से भी जो मना किया |
मायके वाले बुलवा लूंगी |
ये धमकी नहीं मनुहार प्रिय |
तू मांझी मैं मंझधार प्रिय
जो कभी रूठ तुमसे जाऊं |
दे साडी मुझे मना लेना |
दे साडी मुझे मना लेना |
जो थक जाऊं मैं कभी |
तो खाना बाहर से मंगवा लेना |
ये कर लो तुम स्वीकार प्रिय |
तू मांझी मैं मंझधार प्रिय
तुम बैठो मेरे पास प्रिय|
बस मेरी तारीफे करना |
न इधर उधर तुम देख कभी |
ठंडी ठंडी आहें भरना |
वर्ना ...........
तू मांझी मैं मंझधार प्रिये।
जीना होगा दुश्वार प्रिये |
तू मांझी मैं मंझधार प्रिये।।
इस खट्टी मीठी नोक झोक |
में प्यार सदा बढता जाए |
तुझ पर मेरा मुझ पर तेरा |
यूँ रंग सदा चदता जाए |
तुम हो मेरा संसार प्रिये |
तू मांझी मैं मंझधार प्रिये।।
क्या खूब ...सुन्दर मनुहार है श्यामा जी....
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत धन्वाद
हटाएंइस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
हटाएंबहुत सुन्दर प्रस्तुति...!
जवाब देंहटाएंआपको सूचित करते हुए हर्ष हो रहा है कि आपकी इस प्रविष्टि का लिंक आज बृहस्पतिवार (01-08-2013) को २९ वां राज्य ( चर्चा -1324 ) में "मयंक का कोना" पर भी है!
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
बहुत बहुत धन्वाद
हटाएंबहुत सुन्दर है गीत -
जवाब देंहटाएंतू रिमोट मैं तेरा मोहन प्रिय
तू वोट मैं तेरा टर्नकोट
मैं करती हूँ मनुहार प्रिय
तू तंत्रप्रजा मैं वोट प्रिय
तू मेरा सेकुलर राग प्रिय।