{ अगीत-- अतुकांत कविता की एक विधा है जो ५ से १० पंक्तियों के अन्दर कही गयी लय व गति, यति से युक्त कविता है --- अगीत विधा की अधिक जानकारी हेतु मेरे ब्लॉग 'अगीतायन' ( http://ageetayan.blogspot.com) पर देखें...}
चोर व सज़ा....
पकडे जाने पर चोर ने कहा-
व्यवस्था व समाज ने मुझे चोर बनाया है...
दरोगा जी पहुंचे हुए थे,
घाट घाट का पानी पीकर घुटे हुए थे, बोले-
अबे हमें फिलासफी पढाता है,
तेरा भी समाज से कुछ नाता है ,
चलअन्दर-
जो पकड़ा जाता है,
वही तो सजा भुगत पाता है |
स्थितप्रज्ञ
चौदह घंटे लेट
गाडी के इंतज़ार में
धैर्य व संतोष की मूर्ति -यात्री
थककर चूर,
प्लेटफार्म पर बैठे मज़बूर,
जैसे हों ,
स्थितप्रज्ञ, वीतरागी,
सद -नासद से दूर |
चोर व सज़ा....
पकडे जाने पर चोर ने कहा-
व्यवस्था व समाज ने मुझे चोर बनाया है...
दरोगा जी पहुंचे हुए थे,
घाट घाट का पानी पीकर घुटे हुए थे, बोले-
अबे हमें फिलासफी पढाता है,
तेरा भी समाज से कुछ नाता है ,
चलअन्दर-
जो पकड़ा जाता है,
वही तो सजा भुगत पाता है |
स्थितप्रज्ञ
चौदह घंटे लेट
गाडी के इंतज़ार में
धैर्य व संतोष की मूर्ति -यात्री
थककर चूर,
प्लेटफार्म पर बैठे मज़बूर,
जैसे हों ,
स्थितप्रज्ञ, वीतरागी,
सद -नासद से दूर |
धन्यवाद शास्त्रीजी.....
जवाब देंहटाएंबहुत धार है रचना में..बढ़िया
जवाब देंहटाएंधन्यवाद ब्रिजेश जी एवं रश्मि जी...
जवाब देंहटाएंअगीत विधा की अधिक जानकारी हेतु मेरे ब्लॉग 'अगीतायन' ( http://ageetayan.blogspot.com) पर देखें...
आदरणीय आपकी यह प्रस्तुति 'निर्झर टाइम्स' पर 'रचनाशीलता की पहुंच कहाँ तक?' में लिंक किया गया है।
जवाब देंहटाएंआपकी अमूल्य प्रतिक्रिया http:/nirjar-times.blogspot.com पर सादर आमंत्रित है।
सादर
सुन्दर क्षणिकाएं
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