शर्म आती है उन कायरों पर
भोले निर्दोष बच्चों पर
जो गोली दागते जाते हैं
और इसे अपना प्रतिशोध बताते हैं
शर्म आती है उनपर जो
कार बम्ब चलाकर
निर्दोष इंसानों के
टुकड़े टुकड़े फैलाते हैं
और इसे अपना धर्म बताते हैं
शर्म आती है उन दोगुलों पर
जो ऊपर से सहानुभूति
की चर्चा तो कर जाते हैं
अन्दर अन्दर मुस्काते हैं
और इसे धर्म का मामला बताते हैं
शर्म आती है उन ठेकेदारों पर
इंसानियत का रस्ता छोड़
जो अपने व्यापर चलाते हैं
इंसानियत का खून बहाते हैं
और इसे धर्म का आह्वान कह फुसलाते हैं
......इंतज़ार
भोले निर्दोष बच्चों पर
जो गोली दागते जाते हैं
और इसे अपना प्रतिशोध बताते हैं
शर्म आती है उनपर जो
कार बम्ब चलाकर
निर्दोष इंसानों के
टुकड़े टुकड़े फैलाते हैं
और इसे अपना धर्म बताते हैं
शर्म आती है उन दोगुलों पर
जो ऊपर से सहानुभूति
की चर्चा तो कर जाते हैं
अन्दर अन्दर मुस्काते हैं
और इसे धर्म का मामला बताते हैं
शर्म आती है उन ठेकेदारों पर
इंसानियत का रस्ता छोड़
जो अपने व्यापर चलाते हैं
इंसानियत का खून बहाते हैं
और इसे धर्म का आह्वान कह फुसलाते हैं
......इंतज़ार
आपकी इस प्रस्तुति का लिंक 18-12-2014 को चर्चा मंच पर क्रूरता का चरम {चर्चा - 1831 } में दिया गया है
जवाब देंहटाएंआभार
जी आभार ....
हटाएंबार-बार धिक्कार...
जवाब देंहटाएंजी बिलकुल .....आभार
हटाएंaise janmanas ko dhikkar kayar hai wah sabhi jo aise karty karte hain
जवाब देंहटाएंजी सही कहा आपने ....आभार
हटाएंजिन्होंने मजहब के नाम पर मासूमों की बलि दे डाली… संवेदनशील। ।
जवाब देंहटाएंधर्म के नाम पर दुनियाँ में सबसे अधिक अत्याचार होते हैं ....आभार
हटाएंवाकई...शर्म आती है
जवाब देंहटाएंजी सही कहा .....धन्यवाद्
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