एक और साल हाथ से फिसलता जाता है
बीते साल में अच्छा तो होता ही है
अफ़सोस दुनियाँ में दुखद भी घटित हो जाता है
नया साल फिर एक नयी
उम्मीद जगाता है
इसीलिए हर कोई
इस वार्षिक मीली पत्थर को
जोरशोर से मनाता है
किसी को जल्दी होती है
कि साल जल्दी जल्दी बढ़ते क्यों नहीं
तो किसी को फिक्र होती है
कि साल जल्दी जल्दी बढ़ते क्यों हैं
मगर नया साल फिर से नया जोश जगाता है
कुछ नया करने का... कुछ पाने का...
इसीलिए हर कोई
इस वार्षिक मीली पत्थर को
जोरशोर से बिदाई दे
नये साल के स्वागत में जुट जाता है
अपने लिये तो हम कुछ मांगते ही हैं
चलो इस साल
किसी और के लिये
अपने कर्म का पौदा लगायें
किसी के जीवन को अच्छा करने का
एक नया प्रयास चलाएँ...
........इंतज़ार
सार्थक प्रस्तुति।
जवाब देंहटाएं--
नव वर्ष-2015 आपके जीवन में
ढेर सारी खुशियों के लेकर आये
इसी कामना के साथ...
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
जी धन्यवाद् और नववर्ष की शुभकामनाएँ आप के लिये ...सादर
हटाएं