शबनमी बहार में
फूल नहाते रहे
चमन में रात भर
प्यार की बौछार से
रात की याद में
फूलों ने भी
उन मोतिओं को
दामन में
सजो रखा
सुबह होते होते
फूलों को जब तूने तोड़ा
आँसू बन बह गईं
वो प्यार की बूंदें
कहाँ देखा तूने
दिल के दर्द को
जिसने प्यार में
गवाईं थी रात की नींदें
फिर उन उदास फोलों को
तूने अर्पित रब को करा
बेचारा रब भी उदास हुआ
जब प्यार का ये मन्ज़र देखा
फूलों के दिल में
वो चुभा खंज़र देखा
......इंतज़ार
रविकर जी आभार .....चर्चा मंच पर स्थान देने के लिये
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर प्रस्तुति।
जवाब देंहटाएंPratibha जी धन्यवाद् पसंदिगी के लिये ...हार्दिक शुभकामनाएँ
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