पिछले दिनों राहुल गांधी ने अपने पिता राजीव गांधी के जन्म दिवस (जयंती )पर महिलाओं के बीच में कहा -
कि तुम्हें माँ बहन कहने वाले और मंदिर में जाने वाले ही तुम्हें छेड़ते हैं ,तुम्हारे साथ दुराचार करते हैं। इसमें
दो बातें ध्यान देने योग्य हैं। पहली बात तो ये कि नारी के प्रति सम्मानजनक सम्बोधन माँ -बहिन कहने और
उसी भाव में जीने की जो भारतीय पद्धति है उसका राहुल गांधी ने उपहास उड़ाया है। जिस परिवेश में यह
शहज़ादा पला है वहां मिस /मिसिज़ और मिस्टर के अलावा कोई शब्द ही नहीं है। माँ -बहिन जैसे पवित्र शब्दों
का उपहास उड़ाकर उसने कांग्रेस के दिवालियापन का ही सुबूत दिया है।
दूसरी बात भी भारत की सांस्कृतिक जीवन पद्धति से जुड़ी है । भारतधर्मी समाज के सभी मत -मतान्तरों
और वर्गों के देवालय मंदिर कहलाते हैं ,शहज़ादे ने मंदिरों पर दोषारोपण किया है और परोक्षता सम्पूर्ण
भारतधर्मी समाज को लांछित किया है कि मंदिरों में जाने वाले दुराचारी होते हैं। परोक्षता उन्होंने ये कह दिया
है कि चर्च और मस्जिदों में जाना चाहिए। राम नाम कहने वाले ही करते हैं सारी बदमाशियां। जो लोग
गिरजाघर और मस्जिदों में जाते हैं वे सदाचारी होते हैं। इस्लाम को यहां वे यह सन्देश भी दे देते हैं कि हम
तुम्हें कुछ नहीं कहते।
एक साथ वोट की राजनीति में कट्टरपंथी मुस्लिमों को और धर्मांतरणवादी चर्च के (अनाचार्य )पादरियों को
संतुष्ट कर वोट की गोटी इस शहज़ादे ने चली है। ये देश का दुर्भाग्य है कि धर्मांतरण की फसल काटने की
घोषणा करने वाले और इसी संदर्भ में कांग्रेस शासनकाल में भारत में कभी आये पॉप का तो लाल कालीन
बिछाकर श्रीमती सोनिया स्वागत करतीं हैं और इशारों इशारों में भारत के पूज्य धर्माचार्य शंकराचार्य को
गिरिफ्तार कराके वो पॉप को संकेत भेजतीं हैं कि तुम चिंता न करो मैं ऐसे हालात पैदा कर दूँगी तुम जितनी
चाहो फसल काट लेना।
क्या राहुल ने अपनी माँ की इस मंशा को तो आगे नहीं बढ़ाया है। केवल सुब्रामनियम स्वामी द्वारा पप्पू कहे
जाने से वे दोषमुक्त नहीं हो सकते। देश की सांस्कृति इयत्ता पर आक्रमण करने वाले राहुल गांधी पर कानूनी
मुकदमें चलने चाहिए और यदि संविधान में इसके लिए संशोधन भी करना पड़े तो किया जाए। सीमाओं पर
हमला /घुसपैंठ करने वाले दुश्मनों से ऐसे लोग कम खतरनाक नहीं हैं। ये लोग कांग्रेस को मुबारक हों जो
पूर्व
में अमरीका से आये राजनयिकों के समक्ष बोलते हुए कहते हैं भारत को खतरा इस्लामी आतंकवाद से उतना
नहीं है जितना हिन्दू आतंकवाद से है।
यही है शहज़ादे का वोटलक्षित प्रलाप। चर्च से प्रेरित माँ और चर्च से प्रेरित शहज़ादा। भारत के सांस्कृतिक
चैतन्य पर माँ बेटा मिलकर प्रहार करते हैं।
सही बात ।
जवाब देंहटाएं