:1:
किस बात पे हो रूठे
किसने कहा तुम से
सब रिश्ते हैं झूठे
:2:
जाना था तो न आते
आ ही गये हो जब
कुछ देर ठहर जाते
:3:
जब तुमने नहीं जाना
मेरे सच का सच
दुनिया ने कब माना
:4:
आँखों के अन्दर है
बाहर निकले तो
आँसू भी समन्दर है
:5:
आँसू में छुपाये ग़म
कहने को क़तरा
दरिया से नहीं है कम
-आनन्द.पाठक
09413395592
[नोट : माहिया निगारी पर विशेष आलेख आप देख सकते हैं मेरे ब्लाग पर
www.urdu-se-hindi.blogspot.in ]
बढ़िया ।
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छा |
जवाब देंहटाएंसुंदर रचना
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया प्रस्तुति..
जवाब देंहटाएंआ0 कविता जी
हटाएंसराहना के लिए आप का बहुत बहुत धन्यवाद
सादर
-आनन्द.पाठक
09413395592
आ0 जोशी जी/शास्त्री जी/जानू बरुआ जी/ओंकार जी/कविता जी
जवाब देंहटाएंमाहिया की सराहना के लिए आप सभी का बहुत बहुत धन्यवाद
सादर
-आनन्द.पाठक
09413395592