ये हुस्न का जादू है
सर तो सजदे में
दिल पे कब क़ाबू है
आँखों में उतरना है
दिल ने टोक दिया
कुछ और सँवरना है
हम राह निहारेंगे
आओ नइ आओ
हम तुमको पुकारेंगे
ख़्वाबों में बुला कर तुम
छुप जाती हो क्यों
कुछ सपने चुरा कर तुम
इक देश हमें जाना
कैसा होगा वो
जो देश है अनजाना
-आनन्द.पाठक
09413395592
बहुत सुन्दर प्रस्तुति।
जवाब देंहटाएं--
आपकी इस' प्रविष्टि् की चर्चा कल शनिवार (14-06-2014) को "इंतज़ार का ज़ायका" (चर्चा मंच-1643) पर भी होगी!
--
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक
सुंदर रचना
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर प्रस्तुति सराहनीय ..
जवाब देंहटाएंभ्रमर ५
सार्थक प्रस्तुति...
जवाब देंहटाएंआ0 शास्त्री जी/भ्रमर जी/ओंकार जी/बाणभट्ट जी
जवाब देंहटाएंमाहिया की सराहना के लिए आप सभी का बहुत बहुत धन्यवाद
उर्दू शायरी में ’माहिया निगारी’-पर एक आलेख अपने ब्लाग www.urdu-se-hindi.blogspot.in पर लगाया है
यदि आप चाहें तो वहाँ इसे पढ़ सकते हैं जिससे ’माहिया’ समझने में और आसानी होगी
सादर
-आनन्द.पाठक
09413395592
आ0 शास्त्री जी/भ्रमर जी/ओंकार जी/बाणभट्ट जी
जवाब देंहटाएंमाहिया की सराहना के लिए आप सभी का बहुत बहुत धन्यवाद
उर्दू शायरी में ’माहिया निगारी’-पर एक आलेख अपने ब्लाग www.urdu-se-hindi.blogspot.in पर लगाया है
यदि आप चाहें तो वहाँ इसे पढ़ सकते हैं जिससे ’माहिया’ समझने में और आसानी होगी
सादर
-आनन्द.पाठक
09413395592