जैक सिम्पसन
विज्ञानियों ने एक ऐसा टेलिस्कोप बनाने की घोषणा की है जो हमें इस बात के बारे में अहम सुराग दे सकता है कि लाखों मील दूर ऐलियन की मौजूदगी है या नहीं। द एटलास्ट नामक टेलिस्कोप दुनिया का सबसे शक्तिशाली टेलिस्कोप होगा जो धरती से 30 प्रकाश वर्ष की दूरी पर स्थित ग्रहों और सोलर सिस्टम के वातावरण का विश्लेषण कर पाने में सक्षम होगा। उम्मीद जताई जा रही है कि यह टेलिस्कोप एस्ट्रोनॉमर्स को अंतरिक्ष के अनजाने इलाकों की तस्वीर भी दे पाएगा, जिससे यह पता चल पाएगा कि इन जगहों पर अलौकिक जीवन जैसा कुछ मौजूद है या नहीं।
इन ग्रहों का विश्लेषण करने में सक्षम यह टेलिस्कोप अब तक का सबसे बड़ा टेलिस्कोप होगा। यह आकार में 44 फीट लंबे हब्बल टेलिस्कोप से भी 4 गुना ज्यादा बड़ा होगा। इसके अंदर 52 फीट व्यास वाला शीशा लगा होगा, जो इंसान द्वारा निर्मित अब तक का सबसे बड़ा शीशा होगा।
भारी-भरकम आकार के कारण कोई रॉकेट इस टेलिस्कोप को अंतरिक्ष में ले जाने में सक्षम नहीं होगा। इसलिए एस्ट्रोनॉट्स कंस्ट्रक्शन वर्कर्स की एक टीम को नासा के ऑरियन रॉकेट द्वारा अंतरिक्ष में ले जाया जाएगा जो इस टेलिस्कोप को धरती से 10 लाख मील की दूरी पर स्थापित करेगी। इस प्रॉजेक्ट की डीटेल्स इस हफ्ते पोर्ट्समाउथ में होने वाली नैशनल एस्ट्रॉनमी मीटिंग में रॉयल एस्ट्रॉनमी सोसाइटी के प्रेजिडेंट मार्टिन बैरिस्टो का खुलासा करेंगे। बैरिस्टो के अनुसार यह टेलिस्कोप एस्ट्रोनॉमर्स तो 60 नए ग्रहों को खोजने और जीवनके लक्षण के लिए जरूरी ऑक्सीजन और अन्य गैसों के लेवल का पता लगाने में मदद करेगा।
बैरिस्टो ने संडे टाइम्स से कहा, 'यह टेलिस्कोप 30 प्रकाश वर्ष की दूरी तक तारों के आसपास स्थित धरती के समान ग्रहों को देख सकता है। इस दूरी के बीच लाखों सितारे मौजूद हैं और हमें उम्मीद हैं कि इनमें से कुछ हजार सितारें सूरज की तरह होंगे।'
उन्होंने कहा, 'ग्रह के मिलने पर यह टेलिस्कोप ग्रह के वातावरण में मौजूद ओजोन, मीथेन, ऑक्सीजन और अन्य गैसों के बारे में विश्लेषण करेगा, जिससे वहां संभावित जीवन की मौजूदगी का पता लगाया जा सके।' ऐसा माना जा रहा है कि द एटलास्ट टेलिस्कोप की परियोजना के पूरा करने के लिए दुनिया भर की अंतरिक्ष एजेंसियों के सहयोग की जरूरत पड़ेगी। बैरिस्टो ने कहा, 'नासा सबसे बड़ी अंतरिक्ष स्पेस एजेंसी होने के कारण इस प्रॉजेक्ट में मुख्य भूमिका निभाएगी लेकिन हम यूरोपियन स्पेस एजेंसी (ब्रिटेन इसका सदस्य है) से इस प्रॉजेक्ट पर चर्चा कर चुके हैं। इस प्रॉजेक्ट के 2030 में पूरा होने की उम्मीद है।'
विज्ञानियों ने एक ऐसा टेलिस्कोप बनाने की घोषणा की है जो हमें इस बात के बारे में अहम सुराग दे सकता है कि लाखों मील दूर ऐलियन की मौजूदगी है या नहीं। द एटलास्ट नामक टेलिस्कोप दुनिया का सबसे शक्तिशाली टेलिस्कोप होगा जो धरती से 30 प्रकाश वर्ष की दूरी पर स्थित ग्रहों और सोलर सिस्टम के वातावरण का विश्लेषण कर पाने में सक्षम होगा। उम्मीद जताई जा रही है कि यह टेलिस्कोप एस्ट्रोनॉमर्स को अंतरिक्ष के अनजाने इलाकों की तस्वीर भी दे पाएगा, जिससे यह पता चल पाएगा कि इन जगहों पर अलौकिक जीवन जैसा कुछ मौजूद है या नहीं।
इन ग्रहों का विश्लेषण करने में सक्षम यह टेलिस्कोप अब तक का सबसे बड़ा टेलिस्कोप होगा। यह आकार में 44 फीट लंबे हब्बल टेलिस्कोप से भी 4 गुना ज्यादा बड़ा होगा। इसके अंदर 52 फीट व्यास वाला शीशा लगा होगा, जो इंसान द्वारा निर्मित अब तक का सबसे बड़ा शीशा होगा।
भारी-भरकम आकार के कारण कोई रॉकेट इस टेलिस्कोप को अंतरिक्ष में ले जाने में सक्षम नहीं होगा। इसलिए एस्ट्रोनॉट्स कंस्ट्रक्शन वर्कर्स की एक टीम को नासा के ऑरियन रॉकेट द्वारा अंतरिक्ष में ले जाया जाएगा जो इस टेलिस्कोप को धरती से 10 लाख मील की दूरी पर स्थापित करेगी। इस प्रॉजेक्ट की डीटेल्स इस हफ्ते पोर्ट्समाउथ में होने वाली नैशनल एस्ट्रॉनमी मीटिंग में रॉयल एस्ट्रॉनमी सोसाइटी के प्रेजिडेंट मार्टिन बैरिस्टो का खुलासा करेंगे। बैरिस्टो के अनुसार यह टेलिस्कोप एस्ट्रोनॉमर्स तो 60 नए ग्रहों को खोजने और जीवनके लक्षण के लिए जरूरी ऑक्सीजन और अन्य गैसों के लेवल का पता लगाने में मदद करेगा।
बैरिस्टो ने संडे टाइम्स से कहा, 'यह टेलिस्कोप 30 प्रकाश वर्ष की दूरी तक तारों के आसपास स्थित धरती के समान ग्रहों को देख सकता है। इस दूरी के बीच लाखों सितारे मौजूद हैं और हमें उम्मीद हैं कि इनमें से कुछ हजार सितारें सूरज की तरह होंगे।'
उन्होंने कहा, 'ग्रह के मिलने पर यह टेलिस्कोप ग्रह के वातावरण में मौजूद ओजोन, मीथेन, ऑक्सीजन और अन्य गैसों के बारे में विश्लेषण करेगा, जिससे वहां संभावित जीवन की मौजूदगी का पता लगाया जा सके।' ऐसा माना जा रहा है कि द एटलास्ट टेलिस्कोप की परियोजना के पूरा करने के लिए दुनिया भर की अंतरिक्ष एजेंसियों के सहयोग की जरूरत पड़ेगी। बैरिस्टो ने कहा, 'नासा सबसे बड़ी अंतरिक्ष स्पेस एजेंसी होने के कारण इस प्रॉजेक्ट में मुख्य भूमिका निभाएगी लेकिन हम यूरोपियन स्पेस एजेंसी (ब्रिटेन इसका सदस्य है) से इस प्रॉजेक्ट पर चर्चा कर चुके हैं। इस प्रॉजेक्ट के 2030 में पूरा होने की उम्मीद है।'
सुंदर जानकारी ।
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर प्रस्तुति।
जवाब देंहटाएं--
आपकी इस' प्रविष्टि् की चर्चा कल मंगलवार (24-06-2014) को "कविता के पांव अतीत में होते हैं" (चर्चा मंच 1653) पर भी होगी!
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हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक