:1:
रंगोली आँगन की
देख रही रस्ता
गोरी के साजन की
:2:
धोखा ही सही ,माना
अच्छा लगता है
तुम से धोखा खाना
:3:
औरों से रज़ामन्दी
तेरी महफ़िल में
मेरी ही जुबांबन्दी
:4:
माटी से बनाते हो
क्या मिलता है जब
माटी में मिलाते हो ?
:5:
गो नज़र न आता है
दिल में है कोई
जो राह दिखाता है
-आनन्द.पाठक-
09413395592
बहुत सुन्दर प्रस्तुति।
जवाब देंहटाएं--
आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल सोमवार (27-10-2014) को "देश जश्न में डूबा हुआ" (चर्चा मंच-1779) पर भी होगी।
--
चर्चा मंच के सभी पाठकों को
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
आ0 शास्त्री जी
हटाएंचर्चा में शामिल करने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद
सादर
-आनन्द.पाठक-
इने -गिने शब्द
जवाब देंहटाएंकितना कुछ कह जाते हैं
जब हों समर्थ !
आ0 प्रतिभा जी
हटाएंुत्साह वर्धन के लिए आप का बहुत बहुत धन्यवाद
सादर
-आनन्द.पाठक-
Sunder haiku.... Umda prastuti!!
जवाब देंहटाएंआ0 परी जी
हटाएंयह ’हाइकू’ नहीं है ..अपितु इसे ’माहिया’ कहते हैं.माहिया के बारे में संक्षिप्त जानकारी मेरे ब्लाग पर www.urdu-se-hindi.blogspot.com मेरे आलेख में उपलब्ध है। आप ने पुरानी फ़िल्म ’फ़ागुन’ 1958[भारत भूषण- मधुबाला] वाली में एक गाना था ---तुम रूठ के मत जाना ----वो हिन्दी में पहली माहिया थी -ऐसा लोग कहते हैं
-आनन्द.पाठक