आप जानते हैं
चाँद चमकता क्यों है
क्यों की सूरज की किरणे
उस पर पड़ती हैं
जितने हिस्से पर पडें
उतना ही चमकता है
तभी तो कभी पूरा
तो कभी आधा
दिखता है
चाँद की चांदनी झूठी है
चाँद चमकता क्यों है
क्यों की सूरज की किरणे
उस पर पड़ती हैं
जितने हिस्से पर पडें
उतना ही चमकता है
तभी तो कभी पूरा
तो कभी आधा
दिखता है
चाँद की चांदनी झूठी है
छलावा है
चाँद तो खुद एक काला पहाड़ सा है
ये तो सूरज की चाल है
जो धूप को चांदनी बना कर
सब का दिल बहलाता है
ना जाने कितने आशिकों ने
अपने महबूब को
चाँद सा चेहरा कह डाला
उन्हें क्या पता
कि चाँद का मुहँ है काला
चकोरी को क्या पता
इस चांदनी की सच्चाई का
वर्ना क्या पूर्णिमा की रात में ऐसा होता
फिर जिंदगी भी तो एक भरम ही है
जो हम देखते हैं
वोह होता नहीं
जो होता है
वोह हमें दिखता नहीं
दिल को बहला रहने दो
चाहे भरम में ही सही
सच क्या है
किसे पता
चाँद की सचाई को
अगर समझ गए हो तो
छिपा के रखो
भरम को भरम ही रखो
......मोहन सेठी
आपकी ये रचना चर्चामंच http://charchamanch.blogspot.in/ पर चर्चा हेतू 18 अक्टूबर को प्रस्तुत की जाएगी। आप भी आइए।
जवाब देंहटाएंस्वयं शून्य
राजीव जी धन्यवाद
हटाएंयेही तो बात है मन की मानने की ... नहीं तो पत्थर भी भगवान् कहाँ ...
जवाब देंहटाएंजी बिलकुल सही है पत्थर में वोही दिखता है जो हम देखना चाहते हैं ...धन्यवाद्
हटाएंसुमन जी आभार
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