आत्मा अमर
शरीर छोड़कर
घट अंदर
तड़पती रहती
ऊहा पोह मे
इच्छा शक्ति के तले
असीम आस
क्या करे क्या ना करे
नन्ही सी आत्मा
भटकाता रहता
मन बावला
प्रपंच फंसकर
जग ढूंढता
सुख चैन का निंद
जगजाहिर
मन आत्मा की बैर
घुन सा पीसे
पंच तत्व की काया
जग की यह माया
शरीर छोड़कर
घट अंदर
तड़पती रहती
ऊहा पोह मे
इच्छा शक्ति के तले
असीम आस
क्या करे क्या ना करे
नन्ही सी आत्मा
भटकाता रहता
मन बावला
प्रपंच फंसकर
जग ढूंढता
सुख चैन का निंद
जगजाहिर
मन आत्मा की बैर
घुन सा पीसे
पंच तत्व की काया
जग की यह माया
सभी मित्रों को गांधी जयन्ती,लालबहादुर शास्त्री-जयन्ती,दुर्गापूजा एवं रामनवमी- पर्व की हार्दिक वधाई ! अच्छा प्रस्तुतीकरण !
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