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रविवार, 12 अप्रैल 2015

चन्द माहिया : क़िस्त 19


:1:

क्यों फ़िक़्र-ए-क़यामत हो
हुस्न रहे ज़िन्दा
और इश्क़ सलामत हो

:2:
ऐसे तो नहीं थे तुम
सर हो सजदे में 
और दिल हो कहीं पे गुम

:3:
जो तुम से मिला होगा
लुट कर भी ,उसको
फिर किस से गिला होगा

:4:
उनको न पता शायद
याद में उनके हैं
खुद से भी जुदा शायद

:5

ज्ञानी या धियानी है
पूछ रहा तुम से
क्या इश्क़ के मा’नी है ?

-आनन्द.पाठक
09413395592

2 टिप्‍पणियां:

  1. बैसाखी और अम्बेदकर जयन्ती की हार्दिक मंगलकामनाओं के आपको सूचित करते हुए हर्ष हो रहा है कि आपकी इस प्रविष्टि की चर्चा कल मंगलवार (14-04-2015) को "सब से सुंदर क्या है जग में" {चर्चा - 1947} पर भी होगी!
    --
    सादर...!
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

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